1. बृहत्वातचिंतामणी – (1 गोली – 125 मि.ग्रॅ.)
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प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
मकरध्वज, सुवर्णभस्म, रौप्यभस्म, लोहभस्म, प्रवाळभस्म, अभ्रकभस्म, मौक्तिकभस्म, अंबर, काकोली चूर्ण । |
गुणकर्म |
– |
वातशमन, रसायन । |
उपयोग |
– |
सभी प्रकारके वातविकार, हृदय एवं मज्जातंतू दौर्बल्य, मानसिक थकान, पक्षाघात इ. । |
मात्रा |
– |
1-2 गोली दिन में 2 बार । |
अनुपान |
– |
शहद या घी के साथ । |
ग्रंथाधार |
– |
सिद्ध योग संग्रह । |
पैकिंग आकार |
– |
400 गोलियाँ |
100 गोलियाँ |
50 गोलियाँ |
20 गोलियाँ |
10 गोलियाँ |
5 गोलियाँ |
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2. गर्भचिंतामणी रस – (1 गोली = 125 मि.ग्रॅ.)
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प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
कज्जली, स्वर्णभस्म, रौप्य भस्म, स्वर्णमाक्षिकभस्म, वंग, अभ्रक. |
गुणकर्म |
– |
गर्भिणी के सभी विकारोमें, गर्भस्थ शिशु के लिए बल्य, तथा स्वस्थ गर्भसंगोपनार्थ उपयुक्त । |
उपयोग |
– |
गर्भिणी – दाह, प्रदर, अरुचि, उलटी, अतिसार, भ्रम, गर्भावस्थामें होनेवाला रक्तस्राव। |
मात्रा |
– |
1 गोली दूध के साथ दिने में दो बार। |
ग्रंथाधार |
– |
आयुर्वेद सार संग्रह । |
पैकिंग आकार |
– |
400 गोलियाँ |
100 गोलियाँ |
50 गोलियाँ |
20 गोलियाँ |
10 गोलियाँ |
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3. हेमगर्भ – (500 मि.ग्रॅ. एवं 1 ग्रॅम की मात्रा)
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प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
सुवर्णभस्म, शुद्ध पारद, शुद्ध गंधक, ताम्रभस्म । |
गुणकर्म |
– |
वातकफदोषहर, हृदयोत्तेजक, नाडी एवं हृदयगति नियमन करता है । |
उपयोग |
– |
हात पैर ठंडे होना, नाडी धीमी होना, सांस तेज चलना, रक्तचाप कम होना । |
मात्रा |
– |
वैद्य की सलाहनुसार |
ग्रंथाधार |
– |
योगरत्नाकर । |
पैकिंग आकार |
– |
10 ग्रॅ. |
1 ग्रॅ. |
500 मि.ग्रॅ. |
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4. कुमारकल्याण रस – (1 गोली = 125 मि.ग्रॅ.)
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प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
रससिंदूर, सुवर्णभस्म, अभ्रक, सुवर्णमाक्षिक भस्म, मौक्तिक भस्म, लोह भस्म । |
गुणधर्म |
– |
सर्व बालरोग, रसायन, बल्य । |
उपयोग |
– |
बालपक्षाघात, अपस्मार, वातविकार, कृशता । |
मात्रा |
– |
1/2 गोली एक बार बाल्यावस्था, 1/2 गोली दो बार वृद्धावस्थामे, रोगानुसार अनुपान । |
ग्रंथाधार |
– |
आयुर्वेद सार संग्रह । |
पैकिंग आकार |
– |
400 गोलियाँ |
100 गोलियाँ |
50 गोलियाँ |
20 गोलियाँ |
10 गोलियाँ |
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5. महालक्ष्मीविलास – (1 गोली = 125 मि.ग्रॅ्र.)
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प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
कज्जली, ताम्रभस्म, जायपत्री, स्वर्णभस्म, अभ्रक भस्म, वंग भस्म, शु. धत्तुरा बी,भीमसेनी कापूर, इ.। |
गुणकर्म |
– |
त्रिदोषहर, शुक्रदोषहर, रसायन |
उपयोग |
– |
सभी प्रकारके प्रमेह, रक्तविकार, आमवात, क्षय,स्वरयंत्रशोथ, स्थूलता, मैथुनजन्य दुर्बलता, आदि विकारोमें । |
मात्रा |
– |
1 गोली दिनमें 2 या 3 बार शहद और तुलसी रस के साथ । |
ग्रंथाधार |
– |
भारत भैषज्य रत्नाकर – भाग चार। |
पैकिंग आकार |
– |
400 गोलियाँ |
100 गोलियाँ |
50 गोलियाँ |
20 गोलियाँ |
10 गोलियाँ |
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6. सुवर्णभस्म
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प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
सुवर्ण । |
गुणकर्म |
– |
पित्तवातदोषहर, बुद्धीवर्धक, रसायन, ओजोवर्धक, विषनाशक। |
उपयोग |
– |
हृदरोग, स्मृतीभ्रंश, दमा, मधुमेह, ग्रहणी, अतिसार, त्वचाविकार, जीर्णज्वर, नपुंसकता, क्षय, उन्माद, अपस्मार। |
मात्रा |
– |
25 मि.ग्रॅ. 100 मि.ग्रॅ. दिन मे दो या तीन बार । |
पथ्य |
– |
दूध या शहद । |
ग्रंथाधार |
– |
रसचंडांशु |
पैकिंग आकार |
– |
10 ग्रॅ. |
1 ग्रॅ. |
500 मि.ग्रॅ. |
100 मि.ग्रॅ. |
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7. सुवर्णमालिनी वसंत – (1 गोली = 125 मि.ग्रॅ.)
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प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
सुवर्णभस्म, मौक्तिक भस्म, हिंगूल, सफेद मरीच, कलखापरी। |
गुणकर्म |
– |
त्रिदोषहर, क्षुधावर्धक, बल्य । |
उपयोग |
– |
जीर्णज्वर, प्लीहा-वृद्धी, पांडू, ग्रहणी, राजयक्ष्मा, जीर्णातिसार, बल्य, शक्तीवर्धक । |
मात्रा |
– |
1-2 गोली दिन में दो बार दूध या शहद के साथ । |
ग्रंथाधार |
– |
भारत भैषज्य रत्नाकर – भाग चार। |
पैकिंग आकार |
– |
400 गोलियाँ |
100 गोलियाँ |
50 गोलियाँ |
20 गोलियाँ |
10 गोलियाँ |
5 गोलियाँ |
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8. सुवर्ण सूतशेखर – (1 गोली = 125 मि.ग्रॅ.)
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प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
कज्जली, सुवर्णभस्म, ताम्रभस्म, शंखभस्म, शु.बचनाग, शु. धत्तुरा बी, सोंठ, कालीमिर्च, पिंपली, असली नागकेशर, तमालपत्र, विलायची आदि । |
गुणकर्म |
– |
कफपित्तदोषहर, विषनाशक । |
उपयोग |
– |
अम्लपित्त, रक्तपित्त, शिरःशूल, उदावर्त, एकाग्रता अभाव, उग्रज्वर |
मात्रा |
– |
125 मि.ग्रॅ. गोली दिनमें दो बार या वैद्यकी सलाहनुसार। |
ग्रंथाधार |
– |
भारत भैषज्य रत्नाकर – भाग पाच। |
पैकिंग आकार |
– |
400 गोलियाँ |
100 गोलियाँ |
50 गोलियाँ |
20 गोलियाँ |
10 गोलियाँ |
5 गोलियाँ |
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9. सुवर्णपर्पटी
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प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
सुवर्णभस्म, शु. पारद, शु. गंधक । |
गुणकर्म |
– |
पित्तवातदोषहर, बल्य, पाचक, ज्वरघ्न । |
उपयोग |
– |
सभी प्रकारके ज्वर, ग्रहणी में विशेष उपयुक्त । |
मात्रा |
– |
100-200 मि.ग्रॅ. |
ग्रंथाधार |
– |
रसचंडांशु । |
पैकिंग आकार |
– |
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10. शिलाजत्वादी वटी – (1 गोली = 125 मि.ग्रॅ.)
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प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
शुद्ध शिलाजित, त्रिवंगभस्म, स्वर्णभस्म, कडूनिंबपत्रचूर्ण, गुडमार चूर्ण आदि । |
गुणकर्म |
– |
शुक्रदोषहर, वाजीकर, प्रमेह । |
उपयोग |
– |
वीर्यक्षीणता, इंद्रियशिथिलता, मैथुनजन्य दुर्बलता, प्रमेहोत्तर दुर्बलता । |
मात्रा |
– |
1 गोली दिनमें दो बार दूधके साथ । |
ग्रंथाधार |
– |
सिद्ध योग संग्रह । |
पैकिंग आकार |
– |
100 गोलियाँ |
30 गोलियाँ |
10 गोलियाँ |
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11. श्वासकासचिंतामणी रस – (1 गोली = 125 मि.ग्रॅ.)
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प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
सुवर्णभस्म, कज्जली, लोह, अभ्रक, सुवर्णमाक्षिक, मौक्तिक भस्म । |
गुणकर्म |
– |
हृदय को बल्य, कफहर, रक्तवर्धक तथा धातुवर्धक । |
उपयोग |
– |
श्वास, कास, क्षय, पांडु, कामला, मंदाग्नि । |
मात्रा |
– |
1/2गोली दिनमें दो वक्त मधु के साथ या अदरक रसके साथ। |
ग्रंथाधार |
– |
भैषज्य रत्नावली। |
पैकिंग आकार |
– |
400 गोलियाँ |
100 गोलियाँ |
50 गोलियाँ |
20 गोलियाँ |
10 गोलियाँ |
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12. वसंतकुसुमाकर – (1 गोली = 125 मि.ग्रॅ.)
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प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
सुवर्णभस्म, रौप्यभस्म, वंगभस्म, नागभस्म, रससिंदूर, अभ्रकभस्म, कांतलोहभस्म, मौक्तिकभस्म, प्रवालभस्म। |
गुणकर्म |
– |
वातपित्तदोषहर, पौष्टिक, शुक्रवर्धक, कामोत्तेजेक, बलवर्धक। |
उपयोग |
– |
प्रमेह, क्षय, मानसिक दौर्बल्य, प्रदर, दमा । |
मात्रा |
– |
1-2 गोली दिनमें दो बार । |
अनुपान |
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घी, शक्कर । |
ग्रंथाधार |
– |
भारत भैषज्य रत्नाकर । |
पैकिंग आकार |
– |
400 गोलियाँ |
100 गोलियाँ |
50 गोलियाँ |
20 गोलियाँ |
10 गोलियाँ |
5 गोलियाँ |
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