1. ब्राम्ही घृत |
प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
ब्राम्ही, वचा, कूठ, वायविडंग, पिप्पली । |
गुणकर्म |
– |
वात, कफदोषहर, मनोदोषहर । |
उपयोग |
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अपस्मार, उन्माद, बोलनेकी कमजोरी, बुद्धीदौर्बल्य, स्मरणशक्ती बढानेमें उपयुक्त । |
मात्रा |
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10 ग्रॅ. मिश्री के साथ 1 माह तक हररोज सेवन करने से लाभ । |
ग्रंथाधार |
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भारत भैषज्य रत्नाकर – भाग तीन। |
पैकिंग आकार |
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100 ग्रॅ. |
2. फल घृत |
प्रमुख घटक द्रव्य |
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हल्दी, वंशलोचन, दारूहल्दी, काकोली, क्षीरकाकोली, महामेदा, मेदा, मुलेठी, कोष्ठ, चंदन, वचा, अजवायन, पिप्पली, कुटकी, वावडिंग, अनंतमूल, कमल, गोदुग्ध एवं शुद्ध घी । |
गुणकर्म |
– |
वातपित्त दोषहर, गर्भाशय के लिए बलदायी, रसायन, वेदनाशामक । |
उपयोग |
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स्त्री एवं पुरुषों की जनन क्षीणता, शुक्रविकार, योनिविकार, वारंवार गर्भपात होना, शुक्रक्षय आदीं में विशेष गुणकारी। |
मात्रा |
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1 से 2 चम्मच गरम पानी के साथ । |
ग्रंथाधार |
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भारत भैषज्य रत्नाकर – भाग तीन। |
पैकिंग आकार |
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100 ग्रॅ. |
3. महातिक्तक घृत |
प्रमुख घटक द्रव्य |
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कडवा नीम, पिप्पली, वचा, पर्पटक, गिलोय, कुटकी, शतावरी, हल्दी, अनंतमूल, चंदन, आँवला, अतिविष, मुस्ता, मुलेठी । |
गुणकर्म |
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पित्तदोषहर, रक्तशुद्धीकर । |
उपयोग |
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सभी प्रकारके त्वचाविकार, एक्झिमा, सोरियासिस, खुजली, सफेद दाग, कुष्ठ, वात रक्त, फोडे फुन्सी होना, खूँनी बवासिर, मधुमेह इ. । |
मात्रा |
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1 से 2 चम्मच दिन में 2 बार गरम पानी या दूध के साथ। |
ग्रंथाधार |
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शारंगधर संहिता – द्वितीय खंड। |
पैकिंग आकार |
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100 ग्रॅ. |
4. महात्रिफळा घृत |
प्रमुख घटक द्रव्य |
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त्रिफला क्वाथ,आमला रस, वासारस, शतावरी रस, भृंगराज रस, गिलोय का रस, पिप्पली, कमल, मुलेठी, क्षीरकाकोली, त्रिफला, मुलेठी आदी । |
गुणधर्म |
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पित्तशामक, नेत्र्य । |
उपयोग |
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रक्तदृष्टी, रक्तस्त्राव, आँखो में दर्द होना, आँखो से कम दिखाई पडना, आदी नेत्ररोग में उपयुक्त । |
मात्रा |
– |
10 ग्रॅ. मिश्री के साथ दोनो समय । |
ग्रंथाधार |
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भारत भैषज्य रत्नाकर – भाग दोन । |
पैकिंग आकार |
– |
100 ग्रॅ. |
5. शतावरी घृत |
प्रमुख घटक द्रव्य |
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शतावरी रस, जीवनीयगण, गोदुग्ध, मनुका, रक्तचंदन । |
गुणकर्म |
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पौष्टीक, शीतवीर्य, वाजीकर । |
उपयोग |
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क्षीण शुक्र रोगीयोंके लिए, अंगदाह, शिरोदाह । |
मात्रा |
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5 ग्रॅ. मिश्री के साथ चाटकर उपरसे गोदुग्ध पीवे । |
ग्रंथाधार |
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भैषज्य रत्नावली। |
पैकिंग आकार |
– |
100 ग्रॅ. |
1. च्यवनप्राश – (अष्टवर्गयुक्त) |
प्रमुख घटक द्रव्य |
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ताजा हरा आंवला, दशमूल, हरितकी, पिप्पली, चंदन, कमल, विदारी कंद, अष्टवर्ग, दालचिनी, इलायची, तमालपत्र, गोघृत, शहद, आदी । |
गुणकर्म |
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वातपित्त दोषहर, बल्य, पौष्टिक, धातुवर्धक । |
उपयोग |
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बच्चे-बूढे एवंम स्त्री-पुरुष सभी के लिए पौष्टिक, दमा, खाँसी, तपेदिक, खून की कमी, शुक्रक्षय आदी विकारों में लाभकारी । |
मात्रा |
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1 या 2 चम्मच दिन में दो बार । |
ग्रंथाधार |
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शारंगधर संहिता। |
पैकिंग आकार |
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1000 ग्रॅ. |
400 ग्रॅ. |
200 ग्रॅ. |
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2. गुलकंद – (प्रवाळयुक्त) |
प्रमुख घटक द्रव्य |
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शक्कर, गुलाबकली, प्रवालभस्म इ. । |
गुणकर्म |
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पित्तदोषहर, शीतल, सारक, अम्लपित्तनाशक । |
उपयोग |
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जलन, लू लगना इ. में एवं अनुपानार्थ उपयुक्त । |
मात्रा |
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10 से 20 ग्रॅम दिन में दो बार । |
ग्रंथाधार |
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आयुर्वेद सार संग्रह। |
पैकिंग आकार |
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1000 ग्रॅ. |
400 ग्रॅ. |
200 ग्रॅ. |
100 ग्रॅ. |
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3. शहद – (मध) |
प्रमुख घटक द्रव्य |
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कफदोषहर, नेत्र्य, मेदोहर । |
गुणकर्म |
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स्थौल्य, कफज नेत्रविकार, मुँह में छाले आना इ. एवं अनुपान के लिए उपयुक्त । |
ग्रंथाधार |
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भावप्रकाश । |