1. आमलकी घनवटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 2.5:1) |
प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
आमलकी |
गुणकर्म |
– |
रसायन, वृष्य, वय:स्थापक, त्रिदोषघ्न, बल्य, स्मृती, कांती, मेधावर्धक, अनुलोमक |
उपयोग |
– |
रक्तपित्त, प्रमेह, पांडु, अर्श, कामला, अग्निमांद्य, अम्लपित्त |
मात्रा |
– |
2/2 गोली 3 बार |
ग्रंथाधार |
– |
भावप्रकाश |
2. अडुळसा (वासा) घन वटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 4.5:1) |
प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
अडुळसा (वासा) |
गुणकर्म |
– |
स्वर्य, हृद्य, उत्तेजक, कफनि:सारक, कृमिघ्न, रक्तपित्तनाशक, श्वास-कासघ्न |
उपयोग |
– |
कफविकार, रक्तपित्त, तृष्णा, श्वास, कास, ज्वर, च्छर्दि, प्रमेह, कुष्ठ, क्षय |
मात्रा |
– |
2/2 गोलियाँ दिन में 2 बार |
ग्रंथाधार |
– |
भावप्रकाश |
3. अम्लवेतस घनवटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण- ) |
प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
अम्लवेतस् |
गुणकर्म |
– |
अम्ल, मलभेदक, दीपक, पाचक, लघु |
उपयोग |
– |
हृद्रोग, शूल, गुल्म, मल, मूत्र के दोष, प्लीहा, उदावर्त, हिक्का, आनाह, अरूचि, श्वास, कास, अजीर्ण, वमन, कफ वातरोग |
मात्रा |
– |
1/1 गोली 2 बार |
ग्रंथाधार |
– |
भावप्रकाश |
4. अनंतमूळ घन वटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 5.5:1) |
प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
अनंतमूळ (सारिवा) |
गुणकर्म |
– |
रक्तशोधक, वर्ण्य, मूत्रविरेचक, मूत्रविरजनीय, स्वेदजनन, अग्निवर्धक, बल्य, रसायन, त्वचादोषहर, दाहप्रशमक, स्तन्यशोधक, शुक्रल, स्वेदजनन |
उपयोग |
– |
कुष्ठ, कंडू, श्वास, कास, प्रमेह, त्वचारोग, अग्निमांद्य, अरती, रक्तप्रदर, ज्वर, अतिसार, फिरंग, आमवात, आदि |
मात्रा |
– |
2/2 गोली दिन मे 3 बार |
ग्रंथाधार |
– |
भावप्रकाश |
5. अर्जुन घनवटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 5.5:1) |
प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
अर्जुनछाल |
गुणकर्म |
– |
हृद्य, शीत, कफपित्तघ्न, हृदयोत्तेजक, शोणितस्थापन, संधानकर |
उपयोग |
– |
हृदयविकार, क्षतक्षय, कास, विष, रक्तविकार, प्रमेह, ज्वर, व्रण, शोथ, प्रमेहजन्यव्रण |
मात्रा |
– |
1 गोली 3 बार |
ग्रंथाधार |
– |
भावप्रकाश |
6. अशोक साल घन वटी (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 7:1) |
प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
अशोक छाल |
गुणकर्म |
– |
कषाय, शीतल, ग्राही, वर्ण्य, गर्भाशम के लिए बल्य |
उपयोग |
– |
रक्तविकार, विषविकार, कृमि, शोष, तृष्णा, अपची, दाह, रक्तार्श, रक्तातिसार, श्वेतप्रदर, रक्तप्रदर, कष्टार्तव आदि । |
मात्रा |
– |
1/1 गोली 2 बार |
ग्रंथाधार |
– |
भावप्रकाश |
7. अश्वगंधा घनवटी (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 5:1) |
प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
अश्वगंधा |
गुणधर्म |
– |
बल्य, शुक्रवर्धक, रसायन, वातकफघ्न, शोथहर |
उपयोग |
– |
श्वित्र, शोथ, क्षय, अशक्तता, स्त्रियों में कटिशूल, श्वेतप्रदर |
मात्रा |
– |
2/2 गोली 3 बार |
अनुपान |
– |
दूध |
ग्रंथाधार |
– |
भावप्रकाश |
8. बहावामगज घन वटी (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 3.5:1) |
प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
बहावा मगज (अमलतास का गुदा) |
गुणधर्म |
– |
मृदु विरेचक, अनुलोमक, दाहशामक, वेदनास्थापक |
उपयोग |
– |
कुष्ठ, सभी त्वचारोग, ज्वर, रक्तपित्त, अनुलोमनार्थ |
मात्रा |
– |
2/3 गोलीयाँ रात को गरम पानी के साथ |
ग्रंथाधार |
– |
भावप्रकाश |
9. बाकुची घनवटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 5:1) |
प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
बाकुची (बावंची) |
गुणकर्म |
– |
सौम्य उत्तेजक, वातनाडियों के लिए बल्य, मृदु विरेचक, मूत्रल, कफघ्न, रसायन, व्रणशोधक, व्रणरोपक |
उपयोग |
– |
कुष्ठ, श्वित्र, पामा, कंडु, कृमि, शोथ, पांडु |
मात्रा |
– |
2/2 गोली दिन मे 2 बार |
ग्रंथाधार |
– |
भावप्रकाश |
10. बलामूळ घन वटी (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 12:1) |
प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
बला |
गुणकर्म |
– |
बल्य, कांतीवर्धक, ग्राही, वृष्य, प्रजास्थापन, वातपित्तघ्न, |
उपयोग |
– |
रक्तपित्त, प्रमेह, प्रदर, व्रण, रक्तविकार, शुक्रमेह, विविध वातविकार जैसे अर्धांगवात, अर्दित, मन्यास्तंभ, अवबाहुक, गृध्रसी, शिरःशूल, राजयक्ष्मा, आदि |
मात्रा |
– |
1/1 गोली 2 बार |
अनुपान |
– |
गोदुग्ध |
ग्रंथाधार |
– |
भावप्रकाश |
11. भारंगी घन वटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 11:1) |
प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
भारंगी |
गुणकर्म |
– |
रुच्य, दीपक, पाचक, कफघ्न, शोथघ्न |
उपयोग |
– |
गुल्म, रक्तदोष, शोथ, श्वास, कास, पीनस, ज्वर, फुफ्फुस विकार, आमवात, यक्ष्मज कास |
मात्रा |
– |
1/1 गोली दिन में 3 बार । |
ग्रंथाधार |
– |
भावप्रकाश |
12. भूम्यामलकी घन वटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 8 : 1) |
प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
भुईआमलकी |
गुणकर्म |
– |
श्वास कासघ्न, दाहशामक, यकृतोत्तेजक, मूत्रल, ज्वरघ्न, व्रणरोपक |
उपयोग |
– |
यकृतजन्य विकार, कामला, यकृतवृद्धी, यकृतशोथ, प्लीहावृद्धी, यकृतविषाक्तता, मूत्रविकार, मूत्राघात, मूत्रदाह, सभी प्रकार के ज्वर, त्वचारोग, जख्म भरने हेतू उपयुक्त । |
मात्रा |
– |
2/2 गोली दिन में 2 बार |
ग्रंथाधार |
– |
भावप्रकाश |
13. बिभितक घनवटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 2:1) |
प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
बिभितक |
गुणकर्म |
– |
कफपित्तघ्न, मलभेदक, नेत्र्य, स्वर्य, अनुलोमक, केश्य |
उपयोग |
– |
कास, नेत्रविकार, केसविकार, कृमि, स्वरभेद। |
मात्रा |
– |
2/2 गोली 3 बार |
ग्रंथाधार |
– |
भावप्रकाश |
14. बिल्वमगज घन वटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 2:1) |
प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
बिल्वफलमगज |
गुणकर्म |
– |
मधुर, सुगंधी, दीपक, पाचक, वातकफघ्न |
उपयोग |
– |
ग्रहणी, अर्श, आध्मान, अजीर्ण, प्रवाहिका, कर्णरोग आदि |
मात्रा |
– |
2 गोली सुबह |
ग्रंथाधार |
– |
भावप्रकाश |
15. ब्राह्मी घनवटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 7:1) |
प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
ब्राह्मी |
गुणकर्म |
– |
मेधा, स्मृतीवर्धक, आयुर्वर्धक, रसायन, स्वर्य, हृद्बल्य, विषघ्न |
उपयोग |
– |
कुष्ठ, पांडु, प्रमेह, रक्तविकार, कास, शोथ, उन्माद, अपस्मार, मानसिक तणाव |
मात्रा |
– |
1/1 गोली 3 बार |
अनुपान |
– |
दूध |
ग्रंथाधार |
– |
भावप्रकाश |
16. चित्रक घन वटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 9:1) |
प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
चित्रक |
गुणकर्म |
– |
अग्निवर्धक, पाचक, वातकफघ्न, गर्भाशय संकोचक |
उपयोग |
– |
अर्श, कृमि, ग्रहणी, कुष्ठ, शोथ, कास, आमवात, अग्निमांद्य, अतिसार, अजीर्ण, यकृत, प्लीहा वृद्धी |
मात्रा |
– |
1/1 गोली 3 बार |
सूचना |
– |
गर्भवती स्त्रियों में निषिद्ध |
ग्रंथाधार |
– |
भावप्रकाश |
17. दारूहरिद्रा घन वटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 12:1) |
प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
दारूहल्दी |
गुणकर्म |
– |
दीपक, पाचक, ग्राही, बल्य, कफघ्न, त्वक्दोषहर |
उपयोग |
– |
विषमज्वर, फिरंग, अग्निमांद्य, गंडमाला, अपची, त्वचादोष, भगंदर, प्रदर, अत्यार्तव, व्रण, कामला, नेत्र, कर्ण, मुखविकार |
मात्रा |
– |
1/1 गोली दिन में 3 बार |
ग्रंथाधार |
– |
भावप्रकाश |
18. एरंडमूल घन वटी (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 13:1) |
प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
एरंडमूल |
गुणकर्म |
– |
वृष्य, वातघ्न, भेदनीय, स्वेदोपग, अंगमर्दप्रशमन, शोथघ्न |
उपयोग |
– |
विविध वातव्याधि जैसे शूल, शोथ, कटिशूल, बस्तीशूल, संधिवात, गृध्रसी, पार्श्वशूल, हृदयशूल, आनाह, श्वास, कास, आमवात |
मात्रा |
– |
2/2 गोली दिन में 2 बार |
सूचना |
– |
वातज शूल में सुंठी घन के साथ प्रयोग करे। |
ग्रंथाधार |
– |
भावप्रकाश |
19. गोखरु पंचांग घनवटी (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 4.5 : 1) |
प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
गोक्षुर |
गुणकर्म |
– |
बल्य, मूत्रविरेचनीय, शोथहर, वातहर, वृष्य, वेदनास्थापक, बस्तीशोधक, अग्नीदीपक |
उपयोग |
– |
अश्मरी, प्रमेह, श्वास, कास, अर्श, मूत्रकृच्छ्र, हृदयरोग, वातव्याधी, बस्तीरोग, वृक्कविकार, स्वप्नदोष, वीर्यक्षीणता |
मात्रा |
– |
1/1 गोली 3 बार |
अनुपान |
– |
दूध अथवा शहद |
ग्रंथाधार |
– |
भावप्रकाश |
20. गोरखमुंडी घन वटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 7:1) |
प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
गोरखमुंडी |
गुणकर्म |
– |
दीपन, मूत्रजनन, अनुलोमक, रक्तशोधक, बल्य |
उपयोग |
– |
गलगंड, अपची, मूत्रकृच्छ्र, कृमिरोग, योनिरोग, पाण्डु, श्लीपद, अरूची, अपस्मार, प्लीहा, मेदोरोग, त्वचारोग |
मात्रा |
– |
1/1 गोली दिन में 3 बार |
ग्रंथाधार |
– |
भावप्रकाश |
21. गुडमार घनवटी (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 6.5:1) |
प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
गुडमार |
गुणकर्म |
– |
कफघ्न, दीपक, मेहघ्न, विषघ्न |
उपयोग |
– |
प्रमेह, कुष्ठ, कास, कृमि, व्रण |
मात्रा |
– |
1/1 गोली 2 बार |
ग्रंथाधार |
– |
भावप्रकाश |
22. गुडुची घनवटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 8:1) |
प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
गुडुची। |
गुणकर्म |
– |
वातपित्तघ्न, ज्वरघ्न |
उपयोग |
– |
सभी प्रकार के ज्वरों में उपयुक्त, जीर्णज्वर, विषमज्वर, रसायन। |
मात्रा |
– |
2 गोली दिन में दो बार। |
ग्रंथाधार |
– |
भावप्रकाश |
23. हरितकी घनवटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 2:1) |
प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
हरितकी |
गुणकर्म |
– |
दीपक, पाचक, रसायन, बृंहण, अनुलोमक, आयुर्वर्धक, त्रिदोषघ्न, नेत्र्य |
उपयोग |
– |
श्वास, कास, प्रमेह, अर्श, कुष्ठ, शोथ, उदर, कृमी, ग्रहणी, वैस्वर्य, विबंध, विषमज्वर, गुल्म, आध्मान, तृष्णा, च्छर्दि, हिक्का, कंडु, हृदयविकार, कामला, शूल, आनाह, यकृत, प्लीहाविकार, अश्मरी, मूत्रकृच्छ्र, मूत्राघात |
मात्रा |
– |
2/2 गोली 2 बार |
ग्रंथाधार |
– |
भावप्रकाश |
24. जांभूळबीज घन वटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 3.5:1) |
प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
जामुन की गुठली (जांभूळबीज) |
गुणकर्म |
– |
कफपित्तघ्न, ग्राही, मूत्रसंग्रहणीय |
उपयोग |
– |
प्रमेह, रक्तविकार, दाह |
मात्रा |
– |
2/2 गोली 2 बार |
ग्रंथाधार |
– |
भावप्रकाश |
25. जटामांसी घनवटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 10:1) |
प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
जटामांसी |
गुणकर्म |
– |
मेध्य, कान्तीदायक, बल्य, त्रिदोषघ्न, दीपक, पाचक, केश्य, मूत्रल, आर्तवजनन, संज्ञास्थापन, हृदयके लिए बल्य, मन के विकारों पर उपयुक्त। |
उपयोग |
– |
रक्तप्रकोप, दाह, विसर्प, कुष्ठ, मस्तिष्क तथा नाडीतंतुओं के विकार, मानसिक थकान, मानसिक विकार, चक्कर आना, रजोनिवृत्ती के काल में उत्पन्न मानसिक एवं शारिरीक लक्षणों पर उपयुक्त, कंपवात, मूर्च्छा |
मात्रा |
– |
2/2 गोली 2 बार |
ग्रंथाधार |
– |
भावप्रकाश |
26. काडेचिराईत घन वटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 8:1) |
प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
चिरायता (काडेचिराईत) |
गुणकर्म |
– |
दीपक, पाचक, ज्वरघ्न, यकृत को बलदायी, आमपाचक |
उपयोग |
– |
सभी प्रकार के ज्वर, विषमज्वर, अग्नीमांद्य, यकृतविकार, जैसे कामला, आध्मान, कृमि, सन्निपातज्वर, श्वास, कास, कुष्ठ, शोथ |
मात्रा |
– |
1/1 गोली दिन में 2 बार |
ग्रंथाधार |
– |
भावप्रकाश |
27. कडुनिंब घनवटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 5:1) |
प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
कडुनिंब |
गुणधर्म |
– |
लघु, ग्राही, नेत्र को हितकर, व्रणशोधक, व्रणरोपक, कृमिघ्न |
उपयोग |
– |
कृमि, कुष्ठ, ज्वर, अरुचि, त्वचाविकार, व्रण। |
मात्रा |
– |
1/1 गोली 3 बार |
ग्रंथाधार |
– |
भावप्रकाश |
28. कांचनार घन वटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 7:1) |
प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
कचनार (कांचनार) |
गुणधर्म |
– |
ग्राही, कफपित्तघ्न, बल्य, व्रणशोधक, व्रणरोपक |
उपयोग |
– |
कृमि, कुष्ठ, गंडमाला, व्रणरोपक, गुदभ्रंश, त्वचारोग |
मात्रा |
– |
2/2 गोली 2 बार |
ग्रंथाधार |
– |
भावप्रकाश |
29. कंटकारी पंचांग घन वटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.)(संपृक्तता प्रमाण – 8:1) |
प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
कंटकारी (रिंगणी) |
गुणधर्म |
– |
दीपक, पाचक, कफवातघ्न, मूत्रल |
उपयोग |
– |
ज्वरघ्न, श्वास, कास, पीनस, पार्श्वपीडा, कृमिघ्न, हृदयरोग, खुजली, मेदोरोग, अंगमर्द, आध्मान, विबंध, अश्मरी |
मात्रा |
– |
1/1 गोली 3 बार |
ग्रंथाधार |
– |
भावप्रकाश |
30. कवचबीज घनवटी – (कौचाबीज)(1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.)( संपृक्तता प्रमाण- 5:1) |
प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
कौचा बीज |
गुणकर्म |
– |
अत्यंत वृष्य, बृंहण, गुरु, वातघ्न, बल्य, कफपित्तनाशक, उत्तेजक, वाजीकर |
उपयोग |
– |
वंध्यत्व, शुक्रवर्धक, अशक्तता, हीनवीर्य, रक्तविकारनाशक |
मात्रा |
– |
1/1 गोली 3 बार |
अनुपान |
– |
दूध |
ग्रंथाधार |
– |
भावप्रकाश |
31. खदिर घन वटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 13:1) |
प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
खैर की छाल |
गुणकर्म |
– |
कफघ्न, कुष्ठघ्न, ग्राही, रक्तपित्तप्रशमन |
उपयोग |
– |
दाँतों के लिए हितकर, कुष्ठ, त्वचा रोग, खुजली, कास, अरुची, मेद, कृमि, प्रमेह, ज्वर, व्रण, श्वेतकुष्ठ, शोथ, आम, अतिसार, पांडु, मुख के विकार, मुखपाक, आदि |
मात्रा |
– |
1/1 गोली दिन में 2 बार |
ग्रंथाधार |
– |
भावप्रकाश |
32. कुटज घनवटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 5.5:1) |
प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
कुटज (कुडा) |
गुणकर्म |
– |
पितघ्न, कफघ्न, दीपक, ग्राही, आमपाचक |
उपयोग |
– |
अर्श, अतिसार, रक्तपित्त, तृष्णा, प्रवाहिका, संग्रहणी, रक्तातिसार, जीर्णज्वर, कुष्ठ |
मात्रा |
– |
2/2 गोली 3 बार |
ग्रंथाधार |
– |
भावप्रकाश |
33. कुटकी घन वटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 2.5:1) |
प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
कुटकी |
गुणकर्म |
– |
मलभेदक, हृद्य, दीपक, कफपित्तघ्न, पाचक, कटुपौष्टीक |
उपयोग |
– |
सभी प्रकार के ज्वर, कफपित्तज ज्वर, प्रमेह, श्वास, कास, रक्तदोष, दाह, कुष्ठ तथा त्वचारोग, कृमि, कामला, पाण्डु, संग्रहणी, आदि |
मात्रा |
– |
1/1 गोली 2 बार |
ग्रंथाधार |
– |
भावप्रकाश |
34. लताकरंज घन वटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 5:1) |
प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
लताकरंज की बीजमज्जा |
गुणकर्म |
– |
उष्ण, रुक्ष, बल्य, नियतकालिक ज्वर प्रतिबंधक, रक्तस्तंभक, वेदनाहर, शोथघ्न, गर्भाशयसंकोचक, कृमिघ्न |
उपयोग |
– |
विषमज्वर, सूतिकाज्वर, शूल, श्वास, वातविकार, त्वचाविकार, शोथ, व्रण, अंडवृद्धी में एरंडपत्र पर इसका चूर्ण डालकर बाँधने से लाभ मिलता है। |
मात्रा |
– |
2/2 गोली दिन में 2 बार |
ग्रंथाधार |
– |
भावप्रकाश |
35. लोध्र घन वटी (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 6:1) |
प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
लोध्र |
गुणकर्म |
– |
ग्राही, नेत्र्य, कफपित्तघ्न, शोथघ्न, रक्तस्तंभक, व्रणरोपक, बल्य |
उपयोग |
– |
रक्तपित्त, रक्तविकार, ज्वर, अतिसार, नेत्रविकार, रक्तप्रदर, अत्यार्तव, श्वेतप्रदर, सर्वांगशोथ, यकृतविकार, प्रवाहिका, रक्तातिसार, शोथ आदि |
मात्रा |
– |
2/2 गोली दिन में 2 बार |
ग्रंथाधार |
– |
भावप्रकाश |
36. माका (भृंगराज) घन वटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 6.5:1 |
प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
माका (भृंगराज) |
गुणकर्म |
– |
कफवातघ्न, केश्य, वर्ण्य, रसायन, बल्य, दीपक, पाचक |
उपयोग |
– |
कृमि, श्वास-कास, शोथ, आमपाचन, पांडु, कुष्ठ, नेत्ररोग, शिरोरोग, यकृतविकार, वलि, पलित, इंद्रलुप्त, व्रण, कामला, उदर, यकृतवृद्धी, प्लीहावृद्धी |
मात्रा |
– |
1/1 गोली 3 बार |
ग्रंथाधार |
– |
भावप्रकाश |
37. मामेजवा घन वटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 4.5:1) |
प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
मामेजवा |
गुणकर्म |
– |
दीपक, पाचक, वातानुलोमक, तिक्तपौष्टिक |
उपयोग |
– |
अपचन, कामला, अग्नीमांद्य |
मात्रा |
– |
2/2 गोली 2 बार |
ग्रंथाधार |
– |
भावप्रकाश |
38. मंजिष्ठा घन वटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 8:1) |
प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
मंजिष्ठा |
गुणकर्म |
– |
वर्ण्य, स्वर्य, कफघ्न, रक्तशोधक, ग्राही, पौष्टिक, गर्भाशयसंकोचक, शोधघ्न, त्वक्दोषहर, वेदनास्थापक, मूत्रल, व्रणरोपक |
उपयोग |
– |
कुष्ठ, रक्तदोष, विसर्प, व्रण, प्रमेह, नेत्र, तथा कर्णविकार, रक्तातिसार, शोथ, योनिविकार, विष, त्वचारोग, कामला, मूत्रावरोध, अश्मरी, आर्तवविकार, अनार्तव |
मात्रा |
– |
1/1 गोली 3 बार |
ग्रंथाधार |
– |
भावप्रकाश |
39. नागरमोथा घनवटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 6.5:1) |
प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
नागरमोथा |
गुणकर्म |
– |
कटु, शीत, ग्राही, दीपक, पाचक, कफपित्तघ्न, वातानुलोमक, स्वेदजनन |
उपयोग |
– |
तृष्णाशामक, ज्वरघ्न, अरुची, कृमि, आमातिसार, रक्तार्श, संग्रहणी |
मात्रा |
– |
2/2 गोली 2 बार |
ग्रंथाधार |
– |
भावप्रकाश |
40. निर्गुंडी घन वटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 4.5:1) |
प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
निर्गुंडी (सम्हालू) |
गुणकर्म |
– |
वातकफघ्न, दीपन, वेदनास्थापन, मूत्रजनन, आर्तवजनन, कृमिघ्न, शोथघ्न, बल्य, रसायन, विषघ्न, मस्तिष्क को बल्य |
उपयोग |
– |
शूल, शोथ, आमवात, कृमि, कुष्ठ, अरुचि, कफज ज्वर, अपचन, आध्मान, सभी वातव्याधी, कास, प्रदर, क्षय, कुष्ठ, शोथ, व्रण, कृमि, प्लीहावृद्धी |
मात्रा |
– |
1/1 गोली 3 बार |
ग्रंथाधार |
– |
भावप्रकाश |
41. निशोत्तर घन वटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 9:1) |
प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
निशोत्तर (त्रिवृत्) |
गुणकर्म |
– |
रेचक, वातघ्न, भेदनीय, सुखविरेचनों में श्रेष्ठ। |
उपयोग |
– |
विरेचन में श्रेष्ठ होने के कारण अर्श, उदर, मलावष्टंभ, गुल्म में उपयुक्त है। ज्वर, पित्तजव्याधी, शोथ, रक्तपित्त, विसर्प, कामला, राजयक्ष्मा, वातशोफ आदि में उपयुक्त I |
मात्रा |
– |
२/२ गोलियॉं रात में सोने से पहले अथवा कोष्ठ के अनुसार, कोष्ण जल के साथ। |
ग्रंथाधार |
– |
भावप्रकाश |
42. पारिजातक घन वटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 5:1) |
प्रमुख घटक |
– |
पारिजातक के पत्ते |
गुणकर्म |
– |
ज्वरघ्न, कफघ्न, यकृतोतोजक, मृदुविरेचक |
उपयोग |
– |
सभी प्रकार के ज्वर, जीर्ण ज्वर, कृमी, मलेरिया, यकृत तथा प्लीहा विकार, गृध्रसी |
मात्रा |
– |
2/2 गोली 3 बार घृत या शहद के साथ |
ग्रंथाधार |
– |
भावप्रकाश |
43. पाषाणभेद घनवटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 5.5:1) |
प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
पाषाणभेद |
गुणकर्म |
– |
मूत्रजनन, अश्मरीघ्न, ग्राही, श्लेष्मघ्न |
उपयोग |
– |
मूत्रकृच्छ्र, मूत्राघात, अश्मरी, बस्तीरोग, आमातिसार, कास |
मात्रा |
– |
2/2 गोली 2 बार |
ग्रंथाधार |
– |
भावप्रकाश |
44. पुनर्नवा घनवटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 7:1) |
प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
पुनर्नवा |
गुणधर्म |
– |
मूत्रविरेचक, कफघ्न, शोथघ्न, वय:स्थापक, दीपक |
उपयोग |
– |
शोथ, उदर, कामला, पांडु, यकृतविकार, हृदयरोग, मूत्राल्पता, श्वास, विषविकार, नेत्रविकार |
मात्रा |
– |
2/2 गोली 2 बार |
ग्रंथाधार |
– |
भावप्रकाश |
45. रास्ना घन वटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 5:1) |
प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
रास्ना |
गुणकर्म |
– |
कफवातघ्न, आमपाचक, शोथहर, गर्भाशयसंकोचक |
उपयोग |
– |
वातघ्न, वातजशूल, श्वास, शोथ, उदर, कास, ज्वर, विविध वातव्याधी, आध्मान, अनार्तव, कष्टार्तव, आदि |
मात्रा |
– |
2/2 गोली 2 बार |
ग्रंथाधार |
– |
भावप्रकाश |
46. सफेद मुसळी घन वटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 3:1) |
प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
सफेदमुसली |
गुणकर्म |
– |
स्नेहन, बल्य, रसायन, बृहंण, वृष्य, वातघ्न |
उपयोग |
– |
नपुंसकता, दौर्बल्य, अर्श, अतिसार, प्रवाहिका, प्रदर |
मात्रा |
– |
2/2 गोली 3 बार दूध के साथ |
ग्रंथाधार |
– |
भावप्रकाश |
47. सर्पगंधा घनवटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 7:1) |
प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
सर्पगंधा |
गुणकर्म |
– |
तिक्त, पौष्टिक, निद्राकर, गर्भाशय उत्तेजक, विषघ्न |
उपयोग |
– |
रक्तप्रकोप, कृमि, अतिसार, ज्वर, अनिद्रा, मानसिक ताणतणाव, मानसिक विकार, उन्माद, उच्च रक्तचाप |
मात्रा |
– |
1/1 गोली दिन मे 3 बार |
अनुपान |
– |
दूध |
ग्रंथाधार |
– |
भावप्रकाश |
48. शंखपुष्पी घन वटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 7.5:1) |
प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
शंखपुष्पी |
गुणकर्म |
– |
मेध्म, वृष्य, स्मृतीवर्धक, बल्य, सारक, दीपक |
उपयोग |
– |
मानसरोग, अपस्मार, बुद्धीमांद्य, कुष्ठ, कृमि, विष, अनिद्रा, उन्माद, भ्रम |
मात्रा |
– |
1/1 गोली 2 बार |
ग्रंथाधार |
– |
भावप्रकाश |
49. शरपुंखा घन वटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 7.5:1) |
प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
शरपुंखा (सरफोंका) |
गुणकर्म |
– |
अनुलोमक, पित्तसारक, कफघ्न, विषहर, बल्य, रक्तशोधन |
उपयोग |
– |
आध्मान, अजीर्ण, यकृतविकार, प्लीहाविकार, गुल्म में अत्यंत लाभदायी, अतिसार, कास, रक्तविकार, व्रण, ज्वर |
मात्रा |
– |
2/2 गोली 2 बार तक्र के साथ |
ग्रंथाधार |
– |
भावप्रकाश |
50. शतावरी घनवटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण -3:1) |
प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
शतावरी |
गुणकर्म |
– |
स्तन्यजनन, शुक्रजनन, मूत्रजनन, बल्य, वृष्य, वय:स्थापन, चक्षुष्य, अग्निवर्धक, त्रिदोषघ्न |
उपयोग |
– |
नंपुसकता, शुक्रमेह, नेत्ररोग, अतिसार, ग्रहणी, मूत्रकृच्छ्र, रक्तपित्त, अपस्मार, वातव्याधि, शिरोरोग |
मात्रा |
– |
2/2 गोली 3 बार |
अनुपान |
– |
दूध |
ग्रंथाधार |
– |
भावप्रकाश |
51. सुंठ घन वटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 4:1) |
प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
शुंठी (सोंठ) |
गुणकर्म |
– |
दीपक, पाचक, रूचिकारक, वृष्य, स्वर्य, त्रिदोषशामक, ग्राही |
उपयोग |
– |
आमवात, श्वास, कास, शूल, हृद्रोग, श्लीपद, शोथ, अर्श, आनाह, उदरगत वायु, संधिवात, प्रतिश्याय, स्वरभेद, अतिसार, अजीर्ण, आदि |
मात्रा |
– |
2/2 गोली 3 बार |
ग्रंथाधार |
– |
भावप्रकाश |
52. टाकळाबीज घन वटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 7.5:1)- |
प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
चक्रमर्द (टाकळा, चकवड) बीज |
गुणकर्म |
– |
पित्तवातघ्न, दीपन, पाचन, त्वक्दोषहर |
उपयोग |
– |
कुष्ठ, सभी प्रकार के त्वचारोग, खुजली, कृमि, आदि |
मात्रा |
– |
1/1 गोली 3 बार |
ग्रंथाधार |
– |
भावप्रकाश |
53. तुलसी घनवटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 7:1) |
प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
तुलसी |
गुणकर्म |
– |
हृद्य, कफघ्न,वातघ्न, दीपन, स्वेदजनन, मूत्रजनन |
उपयोग |
– |
कुष्ठ, मूत्रकृच्छ्र, रक्तविकार, पार्श्वपीडा, श्वास, कास, विषमज्वर, विषविकार, ज्वर, कृमि, कर्णशूल |
मात्रा |
– |
1/1 गोली 3 बार |
ग्रंथाधार |
– |
भावप्रकाश |
54. वरुण घनवटी (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 9:1) |
प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
वरूण (वायवर्णा) |
गुणकर्म |
– |
उष्ण, दीपक, पित्तजनक, मलभेदक, अश्मरीहर |
उपयोग |
– |
मूत्रकृच्छ्र, अश्मरी, गुल्म, वातरक्त, कृमी |
मात्रा |
– |
1/1 गोली 3 बार |
ग्रंथाधार |
– |
भावप्रकाश |
55. वेखंड घन वटी (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 4:1) |
प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
वचा (वेखंड) |
गुणकर्म |
– |
कफघ्न, वातानुलोमक, मेध्य, दीपक, पाचक, कृमिघ्न, शूलघ्न, वृष्य, वामक |
उपयोग |
– |
उन्माद, कृमि, अपस्मार, श्वास, कास, कंठरोग, विषमज्वर, जीर्णातिसार, संग्रहणी |
मात्रा |
– |
1/1 गोली 2 बार |
ग्रंथाधार |
– |
भावप्रकाश |
56. विडंग घन वटी (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 6:1) |
प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
विडंग (वायविडंग) |
गुणकर्म |
– |
कृमिघ्न, जंतुनाशक, दीपक, कफवातघ्न, वातानुलोमक, बल्य, रक्तशोधक, रसायन |
उपयोग |
– |
शूल, आध्मान, कृमि, उदर, वातरोग, अग्निमांद्य, अजीर्ण, त्वचारोग, आदि |
मात्रा |
– |
1/1 गोली 3 बार |
ग्रंथाधार |
– |
भावप्रकाश |
57. विदारीकंद घन वटी (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 3:1) |
प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
विदारीकंद (भुईकोहोळा) |
गुणकर्म |
– |
स्निग्ध, बृंहण, दुग्धवर्धक, शुक्रवर्धक, स्वर्य, मूत्रल, बल्य, रसायन, वातपित्तघ्न, स्तन्यजनन, पौष्टिक |
उपयोग |
– |
प्रसूती के बाद दूध बढाने के लिए, दाह, शोथ, यकृत प्लीहा विकार |
मात्रा |
– |
2/2 गोली 2 बार |
ग्रंथाधार |
– |
भावप्रकाश |
58. विजयसार घन वटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 9:1) |
प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
विजयसार (असाणा) |
गुणकर्म |
– |
त्वचा के लिए हितकर, रसायन, पित्तघ्न, प्रमेहनाशक, केश के लिए हितकर |
उपयोग |
– |
प्रमेह, स्थौल्य, कुष्ठ, त्वचारोग, रक्तपित्त, विसर्प, रक्तविकार आदि |
मात्रा |
– |
1/1 गोली दिन में 2 बार |
ग्रंथाधार |
– |
भावप्रकाश |
59. यष्टिमधु घनवटी (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण -6.5:1) |
प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
यष्टिमधु |
गुणकर्म |
– |
शीत, गुरु, मधुर, नेत्र्य, बल्य, वर्ण्य, स्वर्य, पित्तवातघ्न, वृष्य |
उपयोग |
– |
केशवर्धक, व्रण, शोथ, विष, तृष्णा, ग्लानि, क्षय, कास, श्वास, स्वरभेद, अम्लपित्त, हृदयरोग |
मात्रा |
– |
2/2 गोली 2 बार |
ग्रंथाधार |
– |
भावप्रकाश |
60. दशमूल घनवटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 11:1) |
प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
बिल्व, गंभारी, पाटला, अग्निमंथ, श्योनाक, शालिपर्णी, पृश्निपर्णी, बृहती, कंटकारी, गोक्षुर |
गुणधर्म |
– |
त्रिदोषनाशक, बल्य |
उपयोग |
– |
श्वास, कास, सिर की पीड़ा, तंद्रा, शोथ, ज्वर, आनाह, अरुची, पार्श्वपीडा, गर्भाशयशुद्धी के लिए। |
मात्रा |
– |
1/1 गोली 3 बार |
ग्रंथाधार |
– |
भावप्रकाश |
61. महारास्नादि क्वाथ घनवटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.)( संपृक्तता प्रमाण – 7:1) |
प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
महारास्नादि क्वाथ में उपयुक्त 28 वनस्पती |
गुणकर्म |
– |
वातघ्न |
उपयोग |
– |
विविध वातविकार, संधिवात, मज्जागत वात, कंपवात, पक्षाघात, अर्दित, योनिरोग, शुक्रदोष, वंध्यत्व |
मात्रा |
– |
2/2 गोली 3 बार |
ग्रंथाधार |
– |
भारत भैषज्य रत्नाकर |
62. महासुदर्शन घनवटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 8:1) |
प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
महासुदर्शन क्वाथ में उपयुक्त 48 वनस्पती |
गुणकर्म |
– |
ज्वरघ्न, कफघ्न, दीपक, पाचक |
उपयोग |
– |
सभी प्रकार के ज्वर, तृष्णा, श्वास, कास, कामला, पांडु, पार्श्वशूल |
मात्रा |
– |
1/1 गोली 3 बार |
ग्रंथाधार |
– |
आयुर्वेद सार संग्रह |
63. महामंजिष्ठादि क्वाथ घनवटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 7:1) |
प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
महामंजिष्ठादि क्वाथ में उपयुक्त 48 वनस्पती |
गुणकर्म |
– |
रक्तशुद्धिकर, रक्तप्रसादक, रक्तदोषनाशक, कफघ्न, पित्तघ्न, कांतिवर्धक |
उपयोग |
– |
सभी प्रकारके त्वचारोग, रक्तदोष, मेदोदोष, कुष्ठ |
मात्रा |
– |
2/2 गोली 2 बार |
ग्रंथाधार |
– |
भारत भैषज्य रत्नाकर |
64. त्रिफळा घनवटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 2:1) |
प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
हरितकी, बिभितक, आमलकी |
गुणकर्म |
– |
कफपित्तघ्न, अनुलोमक, नेत्र्य, दीपक, पाचक, रसायन, रूचिकारक |
उपयोग |
– |
प्रमेह, कुष्ठ, नेत्र के विकार, विषमज्वर, मलावष्टंभ, अग्निमांद्य |
मात्रा |
– |
2/2 गोली 3 बार |
ग्रंथाधार |
– |
भावप्रकाश |