1. अभ्रकभस्म |
गुण |
– |
त्रिदोषहर, रसायन, योगवाही । |
उपयोग |
– |
किसीभी रोग की वजह से अथवा रोग पश्चात उत्पन्न मस्तिष्क, हृदय, फुफ्फुस, एवं धातूओंकी दुर्बलता में अत्यंत उपयोगी । |
मात्रा |
– |
50-100 मि. ग्रॅ. दिनमें दो बार । |
अनुपान |
– |
दूध, शक्कर, पानी । |
ग्रंथाधार |
– |
रसचंडांशु, योगरत्नाकर |
2. गोदंतीभस्म |
गुण |
– |
वातपित्तदोषहर, ज्वरघ्न, शूलघ्न । |
उपयोग |
– |
ज्वर, सिरदर्द, अर्धसिसि, श्वेतप्रदर, मुडदूस इ. । |
मात्रा |
– |
250-500 मि.ग्रॅ. दिनमें दो या तीन बार । |
अनुपान |
– |
दूध, घी, शक्कर । |
ग्रंथाधार |
– |
सिद्ध योग संग्रह । |
पैकिंग आकार |
– |
500 ग्रॅ. |
250 ग्रॅ. |
10 ग्रॅ. |
|
3. कपर्दिक भस्म |
गुण |
– |
पित्त दोषहर, अग्निदीपक । |
उपयोग |
– |
उदरशूल, ग्रहणी, आंतो की दुर्बलता, अम्लपित्त । |
मात्रा |
– |
200-400 मि.ग्रॅ. दिनमें दो बार । |
अनुपान |
– |
दूध, शक्कर, पानी । |
ग्रंथाधार |
– |
रसतरंगिणी। |
पैकिंग आकार |
– |
500 ग्रॅ. |
250 ग्रॅ. |
10 ग्रॅ. |
|
4. लोहभस्म |
गुण |
– |
पित्तवातहर, शक्तिवर्धक । |
उपयोग |
– |
लोहक्षीणता, यकृतप्लीहावृद्धी, खून की कमी, पांडु आदि । |
मात्रा |
– |
100-200 मि.ग्रॅ. दिनमें दो या तीन बार । |
अनुपान |
– |
शहद या घी के साथ । |
ग्रंथाधार |
– |
सिद्ध योग संग्रह । |
5. मंडूरभस्म |
गुण |
– |
पित्तदोषहर, रक्तवर्धक । |
उपयोग |
– |
लोहक्षीणता, खून की कमी, यकृतप्लीहावृद्धी, माहवारी साफ न होना, पांडु आदी में उपयुक्त । |
मात्रा |
– |
50-100 मि.ग्रॅ. दिनमें दो या तीन बार । |
अनुपान |
– |
शहद । |
ग्रंथाधार |
– |
सिद्ध योग संग्रह । |
पैकिंग आकार |
– |
500 ग्रॅ. |
250 ग्रॅ. |
10 ग्रॅ. |
|
|
6. मौक्तिक भस्म |
गुण |
– |
पित्तदोषहर, दाहशामक । |
उपयोग |
– |
दाह, निद्रानाश, जीर्णज्वर, मस्तिष्क दौर्बल्य, मूत्रदाह, नेत्रदाह, क्षय इ. । |
मात्रा |
– |
50-100 मि.ग्रॅ. दिनमें दो या तीन बार । |
अनुपान |
– |
दूध, शक्कर । |
ग्रंथाधार |
– |
सिद्ध योग संग्रह । |
पैकिंग आकार |
– |
10 ग्रॅ. |
1 ग्रॅ. |
500 मि.ग्रॅ. |
250 मि.ग्रॅ. |
|
7. प्रवालभस्म (चंद्रपुटी) |
गुण |
– |
पित्तदोषहर, आम्लपित्तनाशक । |
उपयोग |
– |
पेटमें जलन, नेत्रदाह, मूत्रदाह, घबराहट, ज्वर, चक्कर आना, रक्तपित्त, श्वेतप्रदर इ. । |
मात्रा |
– |
|
अनुपान |
– |
दूध, शक्कर, गुलकंद । |
ग्रंथाधार |
– |
सिद्ध योग संग्रह । |
पैकिंग आकार |
– |
500 ग्रॅ. |
250 ग्रॅ. |
10 ग्रॅ. |
5 ग्रॅ. |
|
8. रौप्य भस्म |
प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
चांदी । |
गुणकर्म |
– |
वातदोषहर, पित्तदोषहर, रक्तवर्धक, मेधावर्धक, मज्जातंतू को बल्य, मनोदोषहर। |
उपयोग |
– |
अपस्मार, पांडू, क्षय, उन्माद, कंप इ. में । |
मात्रा |
– |
25-100 मि.ग्रॅ. दिनमें दो या तीन बार । |
अनुपान |
– |
शहद या घी के साथ । |
ग्रंथाधार |
– |
रसचंडांशु । |
पैकिंग आकार |
– |
100 ग्रॅ. |
10 ग्रॅ. |
2 ग्रॅ. |
1 ग्रॅ. |
|
9. शौक्तिक भस्म |
गुणकर्म |
– |
पित्तवातदोषहर, पाचक, ग्राही, खट्टी डकार, पेटदर्द, जलन में उपयुक्त । |
उपयोग |
– |
बदहजमी, अतिसार, पेटदर्द, अम्लपित्त, मुहाँसे आना, इ. में गुणकारी । |
मात्रा |
– |
200-500 मि.ग्रॅ. दिनमें दो या तीन बार दूध या शहद के साथ। |
अनुपान |
– |
शहद या घी के साथ । |
ग्रंथाधार |
– |
सिद्ध योग संग्रह । |
पैकिंग आकार |
– |
500 ग्रॅ. |
250 ग्रॅ. |
10 ग्रॅ. |
|
10. शंखभस्म |
प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
शंख । |
गुणकर्म |
– |
पाचक, ग्राही, खट्टी डकार, पेटदर्द में उपयुक्त । |
उपयोग |
– |
बदहजमी, अतिसार, पेटदर्द, अम्लपित्त, मुहाँसे आना, इ. में गुणकारी । |
मात्रा |
– |
200-500 मि.ग्रॅ. दिनमें दो बार दूध या शहद के साथ। |
अनुपान |
– |
दूध या शहद के साथ । |
ग्रंथाधार |
– |
सिद्ध योग संग्रह । |
पैकिंग आकार |
– |
500 ग्रॅ. |
250 ग्रॅ. |
10 ग्रॅ. |
|
11. सुवर्णमाक्षिक भस्म |
प्रमुख घटक द्रव्य |
– |
सुवर्णमाक्षिक । |
गुणकर्म |
– |
रक्तवर्धक, रसायन, कफदोषहर, पित्तदोषहर । |
उपयोग |
– |
सिरदर्द, चक्कर आना, अम्लपित्त, रक्तपित्त, आँखोमें जलन, त्वचा विकार, शुक्रक्षय, रक्तप्रदर । |
मात्रा |
– |
100-200 मि.ग्रॅ. । |
अनुपान |
– |
दूध, शक्कर, पानी । |
ग्रंथाधार |
– |
रसतरंगिणी । |
पैकिंग आकार |
– |
10 ग्रॅ. |
1 ग्रॅ. |
500 मि.ग्रॅ. |
100 मि.ग्रॅ. |
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12. त्रिवंग भस्म |
गुण |
– |
बल्य, स्नायू दौर्बल्यनाशक, गर्भाशयको बल्य । |
उपयोग |
– |
नपुंसकता, प्रजनन समस्या, श्वेतप्रदर, शुक्रक्षय, मधुमेह, वारंवार गर्भपात होना, दौर्बल्य । |
मात्रा |
– |
100-200 मि.ग्रॅ. दिनमें दो बार । |
अनुपान |
– |
दूध / शक्कर / च्यवनप्राश । |
ग्रंथाधार |
– |
सिद्ध योग संग्रह । |