Ghanavati (घनवटी)

  • घनवटी घेण्यास अत्यंत टिकाऊ व गोळी स्वरूपात आहे.
  • पचनासाठी सुलभ असते. पोटात त्वरित विरघळते व शोषली जाते .
  • कमी मात्रेत पुरते.
  • रुग्णांना घेण्यासाठी सुविधाजनक.
  • घनवटी सहज कुठेही घेवून जाऊ शकतो.
  • आयुर्वेद सिद्धांतांचे पूर्णतः पालन केले आहे .
  • ६०, ५००, १००० गोळ्या अशा पॅकिंगमध्ये उपलब्ध.

1. आमलकी घनवटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 2.5:1)

प्रमुख घटक द्रव्य आमलकी
गुणकर्म रसायन, वृष्य, वय:स्थापक, त्रिदोषघ्न, बल्य, स्मृती, कांती, मेधावर्धक, अनुलोमक
उपयोग रक्तपित्त, प्रमेह, पांडु, अर्श, कामला, अग्निमांद्य, अम्लपित्त
मात्रा 2/2 गोली 3 बार
ग्रंथाधार भावप्रकाश

2. अडुळसा (वासा) घन वटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 4.5:1)

प्रमुख घटक द्रव्य अडुळसा (वासा)
गुणकर्म स्वर्य, हृद्य, उत्तेजक, कफनि:सारक, कृमिघ्न, रक्तपित्तनाशक, श्वास-कासघ्न
उपयोग कफविकार, रक्तपित्त, तृष्णा, श्वास, कास, ज्वर, च्छर्दि, प्रमेह, कुष्ठ, क्षय
मात्रा 2/2 गोलियाँ दिन में 2 बार
ग्रंथाधार भावप्रकाश

3. अम्लवेतस घनवटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण- )

प्रमुख घटक द्रव्य अम्लवेतस्
गुणकर्म अम्ल, मलभेदक, दीपक, पाचक, लघु
उपयोग हृद्रोग, शूल, गुल्म, मल, मूत्र के दोष, प्लीहा, उदावर्त, हिक्का, आनाह, अरूचि, श्वास, कास, अजीर्ण, वमन, कफ वातरोग
मात्रा 1/1 गोली 2 बार
ग्रंथाधार भावप्रकाश

4. अनंतमूळ घन वटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 5.5:1)

प्रमुख घटक द्रव्य अनंतमूळ (सारिवा)
गुणकर्म रक्तशोधक, वर्ण्य, मूत्रविरेचक, मूत्रविरजनीय, स्वेदजनन, अग्निवर्धक, बल्य, रसायन, त्वचादोषहर, दाहप्रशमक, स्तन्यशोधक, शुक्रल, स्वेदजनन
उपयोग कुष्ठ, कंडू, श्वास, कास, प्रमेह, त्वचारोग, अग्निमांद्य, अरती, रक्तप्रदर, ज्वर, अतिसार, फिरंग, आमवात, आदि
मात्रा 2/2 गोली दिन मे 3 बार
ग्रंथाधार भावप्रकाश

5. अर्जुन घनवटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 5.5:1)

प्रमुख घटक द्रव्य अर्जुनछाल
गुणकर्म हृद्य, शीत, कफपित्तघ्न, हृदयोत्तेजक, शोणितस्थापन, संधानकर
उपयोग हृदयविकार, क्षतक्षय, कास, विष, रक्तविकार, प्रमेह, ज्वर, व्रण, शोथ, प्रमेहजन्यव्रण
मात्रा 1 गोली 3 बार
ग्रंथाधार भावप्रकाश

6. अशोक साल घन वटी (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 7:1)

प्रमुख घटक द्रव्य अशोक छाल
गुणकर्म कषाय, शीतल, ग्राही, वर्ण्य, गर्भाशम के लिए बल्य
उपयोग रक्तविकार, विषविकार, कृमि, शोष, तृष्णा, अपची, दाह, रक्तार्श, रक्तातिसार, श्वेतप्रदर, रक्तप्रदर, कष्टार्तव आदि ।
मात्रा 1/1 गोली 2 बार
ग्रंथाधार भावप्रकाश

7. अश्वगंधा घनवटी (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 5:1)

प्रमुख घटक द्रव्य अश्वगंधा
गुणधर्म बल्य, शुक्रवर्धक, रसायन, वातकफघ्न, शोथहर
उपयोग श्वित्र, शोथ, क्षय, अशक्तता, स्त्रियों में कटिशूल, श्वेतप्रदर
मात्रा 2/2 गोली 3 बार
अनुपान  दूध
ग्रंथाधार भावप्रकाश

8. बहावामगज घन वटी (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 3.5:1)

प्रमुख घटक द्रव्य बहावा मगज (अमलतास का गुदा)
गुणधर्म मृदु विरेचक, अनुलोमक, दाहशामक, वेदनास्थापक
उपयोग कुष्ठ, सभी त्वचारोग, ज्वर, रक्तपित्त, अनुलोमनार्थ
मात्रा 2/3 गोलीयाँ रात को गरम पानी के साथ
ग्रंथाधार भावप्रकाश

9. बाकुची घनवटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 5:1)

प्रमुख घटक द्रव्य बाकुची (बावंची)
गुणकर्म सौम्य उत्तेजक, वातनाडियों के लिए बल्य, मृदु विरेचक, मूत्रल, कफघ्न, रसायन, व्रणशोधक, व्रणरोपक
उपयोग कुष्ठ, श्वित्र, पामा, कंडु, कृमि, शोथ, पांडु
मात्रा 2/2 गोली दिन मे 2 बार
ग्रंथाधार भावप्रकाश

10. बलामूळ घन वटी (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 12:1)

प्रमुख घटक द्रव्य बला
गुणकर्म बल्य, कांतीवर्धक, ग्राही, वृष्य, प्रजास्थापन, वातपित्तघ्न,
उपयोग रक्तपित्त, प्रमेह, प्रदर, व्रण, रक्तविकार, शुक्रमेह, विविध वातविकार जैसे अर्धांगवात, अर्दित, मन्यास्तंभ, अवबाहुक, गृध्रसी, शिरःशूल, राजयक्ष्मा, आदि
मात्रा 1/1 गोली 2 बार
अनुपान गोदुग्ध
ग्रंथाधार भावप्रकाश

11. भारंगी घन वटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 11:1)

प्रमुख घटक द्रव्य भारंगी
गुणकर्म रुच्य, दीपक, पाचक, कफघ्न, शोथघ्न
उपयोग गुल्म, रक्तदोष, शोथ, श्वास, कास, पीनस, ज्वर, फुफ्फुस विकार, आमवात, यक्ष्मज कास
मात्रा 1/1 गोली दिन में 3 बार ।
ग्रंथाधार भावप्रकाश

12. भूम्यामलकी घन वटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 8 : 1)

प्रमुख घटक द्रव्य भुईआमलकी
गुणकर्म श्वास कासघ्न, दाहशामक, यकृतोत्तेजक, मूत्रल, ज्वरघ्न, व्रणरोपक
उपयोग यकृतजन्य विकार, कामला, यकृतवृद्धी, यकृतशोथ, प्लीहावृद्धी, यकृतविषाक्तता, मूत्रविकार, मूत्राघात, मूत्रदाह, सभी प्रकार के ज्वर, त्वचारोग, जख्म भरने हेतू उपयुक्त ।
मात्रा 2/2 गोली दिन में 2 बार
ग्रंथाधार भावप्रकाश

13. बिभितक घनवटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 2:1)

प्रमुख घटक द्रव्य बिभितक
गुणकर्म कफपित्तघ्न, मलभेदक, नेत्र्य, स्वर्य, अनुलोमक, केश्य
उपयोग कास, नेत्रविकार, केसविकार, कृमि, स्वरभेद।
मात्रा 2/2 गोली 3 बार
ग्रंथाधार भावप्रकाश

14. बिल्वमगज घन वटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 2:1)

प्रमुख घटक द्रव्य बिल्वफलमगज
गुणकर्म मधुर, सुगंधी, दीपक, पाचक, वातकफघ्न
उपयोग ग्रहणी, अर्श, आध्मान, अजीर्ण, प्रवाहिका, कर्णरोग आदि
मात्रा 2 गोली सुबह
ग्रंथाधार भावप्रकाश

15. ब्राह्मी घनवटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 7:1)

प्रमुख घटक द्रव्य ब्राह्मी
गुणकर्म मेधा, स्मृतीवर्धक, आयुर्वर्धक, रसायन, स्वर्य, हृद्बल्य, विषघ्न
उपयोग कुष्ठ, पांडु, प्रमेह, रक्तविकार, कास, शोथ, उन्माद, अपस्मार, मानसिक तणाव
मात्रा 1/1 गोली 3 बार
अनुपान दूध
ग्रंथाधार भावप्रकाश

16. चित्रक घन वटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 9:1)

प्रमुख घटक द्रव्य चित्रक
गुणकर्म अग्निवर्धक, पाचक, वातकफघ्न, गर्भाशय संकोचक
उपयोग अर्श, कृमि, ग्रहणी, कुष्ठ, शोथ, कास, आमवात, अग्निमांद्य, अतिसार, अजीर्ण, यकृत, प्लीहा वृद्धी
मात्रा 1/1 गोली 3 बार
सूचना गर्भवती स्त्रियों में निषिद्ध
ग्रंथाधार भावप्रकाश

17. दारूहरिद्रा घन वटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 12:1)

प्रमुख घटक द्रव्य दारूहल्दी
गुणकर्म दीपक, पाचक, ग्राही, बल्य, कफघ्न, त्वक्दोषहर
उपयोग विषमज्वर, फिरंग, अग्निमांद्य, गंडमाला, अपची, त्वचादोष, भगंदर, प्रदर, अत्यार्तव, व्रण, कामला, नेत्र, कर्ण, मुखविकार
मात्रा 1/1 गोली दिन में 3 बार
ग्रंथाधार भावप्रकाश

18. एरंडमूल घन वटी (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 13:1)

प्रमुख घटक द्रव्य एरंडमूल
गुणकर्म वृष्य, वातघ्न, भेदनीय, स्वेदोपग, अंगमर्दप्रशमन, शोथघ्न
उपयोग विविध वातव्याधि जैसे शूल, शोथ, कटिशूल, बस्तीशूल, संधिवात, गृध्रसी, पार्श्वशूल, हृदयशूल, आनाह, श्वास, कास, आमवात
मात्रा 2/2 गोली दिन में 2 बार
सूचना वातज शूल में सुंठी घन के साथ प्रयोग करे।
ग्रंथाधार भावप्रकाश

19. गोखरु पंचांग घनवटी (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 4.5 : 1)

प्रमुख घटक द्रव्य गोक्षुर
गुणकर्म बल्य, मूत्रविरेचनीय, शोथहर, वातहर, वृष्य, वेदनास्थापक, बस्तीशोधक, अग्नीदीपक
उपयोग अश्मरी, प्रमेह, श्वास, कास, अर्श, मूत्रकृच्छ्र, हृदयरोग, वातव्याधी, बस्तीरोग, वृक्कविकार, स्वप्नदोष, वीर्यक्षीणता
मात्रा 1/1 गोली 3 बार
अनुपान दूध अथवा शहद
ग्रंथाधार भावप्रकाश

20. गोरखमुंडी घन वटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 7:1)

प्रमुख घटक द्रव्य गोरखमुंडी
गुणकर्म दीपन, मूत्रजनन, अनुलोमक, रक्तशोधक, बल्य
उपयोग गलगंड, अपची, मूत्रकृच्छ्र, कृमिरोग, योनिरोग, पाण्डु, श्लीपद, अरूची, अपस्मार, प्लीहा, मेदोरोग, त्वचारोग
मात्रा 1/1 गोली दिन में 3 बार
ग्रंथाधार भावप्रकाश

21. गुडमार घनवटी (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 6.5:1)

प्रमुख घटक द्रव्य गुडमार
गुणकर्म कफघ्न, दीपक, मेहघ्न, विषघ्न
उपयोग प्रमेह, कुष्ठ, कास, कृमि, व्रण
मात्रा 1/1 गोली 2 बार
ग्रंथाधार भावप्रकाश

22. गुडुची घनवटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 8:1)

प्रमुख घटक द्रव्य गुडुची।
गुणकर्म वातपित्तघ्न, ज्वरघ्न
उपयोग सभी प्रकार के ज्वरों में उपयुक्त, जीर्णज्वर, विषमज्वर, रसायन।
मात्रा 2 गोली दिन में दो बार।
ग्रंथाधार भावप्रकाश

23. हरितकी घनवटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 2:1)

प्रमुख घटक द्रव्य हरितकी
गुणकर्म दीपक, पाचक, रसायन, बृंहण, अनुलोमक, आयुर्वर्धक, त्रिदोषघ्न, नेत्र्य
उपयोग श्वास, कास, प्रमेह, अर्श, कुष्ठ, शोथ, उदर, कृमी, ग्रहणी, वैस्वर्य, विबंध, विषमज्वर, गुल्म, आध्मान, तृष्णा, च्छर्दि, हिक्का, कंडु, हृदयविकार, कामला, शूल, आनाह, यकृत, प्लीहाविकार, अश्मरी, मूत्रकृच्छ्र, मूत्राघात
मात्रा 2/2 गोली 2 बार
ग्रंथाधार भावप्रकाश

24. जांभूळबीज घन वटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 3.5:1)

प्रमुख घटक द्रव्य जामुन की गुठली (जांभूळबीज)
गुणकर्म कफपित्तघ्न, ग्राही, मूत्रसंग्रहणीय
उपयोग प्रमेह, रक्तविकार, दाह
मात्रा 2/2 गोली 2 बार
ग्रंथाधार भावप्रकाश

25. जटामांसी घनवटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 10:1)

प्रमुख घटक द्रव्य जटामांसी
गुणकर्म मेध्य, कान्तीदायक, बल्य, त्रिदोषघ्न, दीपक, पाचक, केश्य, मूत्रल, आर्तवजनन, संज्ञास्थापन, हृदयके लिए बल्य, मन के विकारों पर उपयुक्त।
उपयोग रक्तप्रकोप, दाह, विसर्प, कुष्ठ, मस्तिष्क तथा नाडीतंतुओं के विकार, मानसिक थकान, मानसिक विकार, चक्कर आना, रजोनिवृत्ती के काल में उत्पन्न मानसिक एवं शारिरीक लक्षणों पर उपयुक्त, कंपवात, मूर्च्छा
मात्रा 2/2 गोली 2 बार
ग्रंथाधार भावप्रकाश

26. काडेचिराईत घन वटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 8:1)

प्रमुख घटक द्रव्य चिरायता (काडेचिराईत)
गुणकर्म दीपक, पाचक, ज्वरघ्न, यकृत को बलदायी, आमपाचक
उपयोग सभी प्रकार के ज्वर, विषमज्वर, अग्नीमांद्य, यकृतविकार, जैसे कामला, आध्मान, कृमि, सन्निपातज्वर, श्वास, कास, कुष्ठ, शोथ
मात्रा 1/1 गोली दिन में 2 बार
ग्रंथाधार भावप्रकाश

27. कडुनिंब घनवटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 5:1)

प्रमुख घटक द्रव्य कडुनिंब
गुणधर्म लघु, ग्राही, नेत्र को हितकर, व्रणशोधक, व्रणरोपक, कृमिघ्न
उपयोग कृमि, कुष्ठ, ज्वर, अरुचि, त्वचाविकार, व्रण।
मात्रा 1/1 गोली 3 बार
ग्रंथाधार भावप्रकाश

28. कांचनार घन वटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 7:1)

प्रमुख घटक द्रव्य कचनार (कांचनार)
गुणधर्म ग्राही, कफपित्तघ्न, बल्य, व्रणशोधक, व्रणरोपक
उपयोग कृमि, कुष्ठ, गंडमाला, व्रणरोपक, गुदभ्रंश, त्वचारोग
मात्रा 2/2 गोली 2 बार
ग्रंथाधार भावप्रकाश

29. कंटकारी पंचांग घन वटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.)(संपृक्तता प्रमाण – 8:1)

प्रमुख घटक द्रव्य कंटकारी (रिंगणी)
गुणधर्म दीपक, पाचक, कफवातघ्न, मूत्रल
उपयोग ज्वरघ्न, श्वास, कास, पीनस, पार्श्वपीडा, कृमिघ्न, हृदयरोग, खुजली, मेदोरोग, अंगमर्द, आध्मान, विबंध, अश्मरी
मात्रा 1/1 गोली 3 बार
ग्रंथाधार भावप्रकाश

30. कवचबीज घनवटी – (कौचाबीज)(1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.)( संपृक्तता प्रमाण- 5:1)

प्रमुख घटक द्रव्य कौचा बीज
गुणकर्म अत्यंत वृष्य, बृंहण, गुरु, वातघ्न, बल्य, कफपित्तनाशक, उत्तेजक, वाजीकर
उपयोग वंध्यत्व, शुक्रवर्धक, अशक्तता, हीनवीर्य, रक्तविकारनाशक
मात्रा 1/1 गोली 3 बार
अनुपान दूध
ग्रंथाधार भावप्रकाश

31. खदिर घन वटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 13:1)

प्रमुख घटक द्रव्य खैर की छाल
गुणकर्म कफघ्न, कुष्ठघ्न, ग्राही, रक्तपित्तप्रशमन
उपयोग दाँतों के लिए हितकर, कुष्ठ, त्वचा रोग, खुजली, कास, अरुची, मेद, कृमि, प्रमेह, ज्वर, व्रण, श्वेतकुष्ठ, शोथ, आम, अतिसार, पांडु, मुख के विकार, मुखपाक, आदि
मात्रा 1/1 गोली दिन में 2 बार
ग्रंथाधार भावप्रकाश

32. कुटज घनवटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 5.5:1)

प्रमुख घटक द्रव्य कुटज (कुडा)
गुणकर्म पितघ्न, कफघ्न, दीपक, ग्राही, आमपाचक
उपयोग अर्श, अतिसार, रक्तपित्त, तृष्णा, प्रवाहिका, संग्रहणी, रक्तातिसार, जीर्णज्वर, कुष्ठ
मात्रा 2/2 गोली 3 बार
ग्रंथाधार भावप्रकाश

33. कुटकी घन वटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 2.5:1)

प्रमुख घटक द्रव्य कुटकी
गुणकर्म मलभेदक, हृद्य, दीपक, कफपित्तघ्न, पाचक, कटुपौष्टीक
उपयोग सभी प्रकार के ज्वर, कफपित्तज ज्वर, प्रमेह, श्वास, कास, रक्तदोष, दाह, कुष्ठ तथा त्वचारोग, कृमि, कामला, पाण्डु, संग्रहणी, आदि
मात्रा 1/1 गोली 2 बार
ग्रंथाधार भावप्रकाश

34. लताकरंज घन वटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 5:1)

प्रमुख घटक द्रव्य लताकरंज की बीजमज्जा
गुणकर्म उष्ण, रुक्ष, बल्य, नियतकालिक ज्वर प्रतिबंधक, रक्तस्तंभक, वेदनाहर, शोथघ्न, गर्भाशयसंकोचक, कृमिघ्न
उपयोग विषमज्वर, सूतिकाज्वर, शूल, श्वास, वातविकार, त्वचाविकार, शोथ, व्रण, अंडवृद्धी में एरंडपत्र पर इसका चूर्ण डालकर बाँधने से लाभ मिलता है।
मात्रा 2/2 गोली दिन में 2 बार
ग्रंथाधार भावप्रकाश

35. लोध्र घन वटी (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 6:1)

प्रमुख घटक द्रव्य लोध्र
गुणकर्म ग्राही, नेत्र्य, कफपित्तघ्न, शोथघ्न, रक्तस्तंभक, व्रणरोपक, बल्य
उपयोग रक्तपित्त, रक्तविकार, ज्वर, अतिसार, नेत्रविकार, रक्तप्रदर, अत्यार्तव, श्वेतप्रदर, सर्वांगशोथ, यकृतविकार, प्रवाहिका, रक्तातिसार, शोथ आदि
मात्रा 2/2 गोली दिन में 2 बार
ग्रंथाधार भावप्रकाश

36. माका (भृंगराज) घन वटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 6.5:1

प्रमुख घटक द्रव्य माका (भृंगराज)
गुणकर्म कफवातघ्न, केश्य, वर्ण्य, रसायन, बल्य, दीपक, पाचक
उपयोग कृमि, श्वास-कास, शोथ, आमपाचन, पांडु, कुष्ठ, नेत्ररोग, शिरोरोग, यकृतविकार, वलि, पलित, इंद्रलुप्त, व्रण, कामला, उदर, यकृतवृद्धी, प्लीहावृद्धी
मात्रा 1/1 गोली 3 बार
ग्रंथाधार भावप्रकाश

37. मामेजवा घन वटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 4.5:1)

प्रमुख घटक द्रव्य मामेजवा
गुणकर्म दीपक, पाचक, वातानुलोमक, तिक्तपौष्टिक
उपयोग अपचन, कामला, अग्नीमांद्य
मात्रा 2/2 गोली 2 बार
ग्रंथाधार भावप्रकाश

38. मंजिष्ठा घन वटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 8:1)

प्रमुख घटक द्रव्य मंजिष्ठा
गुणकर्म वर्ण्य, स्वर्य, कफघ्न, रक्तशोधक, ग्राही, पौष्टिक, गर्भाशयसंकोचक, शोधघ्न, त्वक्दोषहर, वेदनास्थापक, मूत्रल, व्रणरोपक
उपयोग कुष्ठ, रक्तदोष, विसर्प, व्रण, प्रमेह, नेत्र, तथा कर्णविकार, रक्तातिसार, शोथ, योनिविकार, विष, त्वचारोग, कामला, मूत्रावरोध, अश्मरी, आर्तवविकार, अनार्तव
मात्रा 1/1 गोली 3 बार
ग्रंथाधार भावप्रकाश

39. नागरमोथा घनवटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 6.5:1)

प्रमुख घटक द्रव्य नागरमोथा
गुणकर्म कटु, शीत, ग्राही, दीपक, पाचक, कफपित्तघ्न, वातानुलोमक, स्वेदजनन
उपयोग तृष्णाशामक, ज्वरघ्न, अरुची, कृमि, आमातिसार, रक्तार्श, संग्रहणी
मात्रा 2/2 गोली 2 बार
ग्रंथाधार भावप्रकाश

40. निर्गुंडी घन वटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 4.5:1)

प्रमुख घटक द्रव्य निर्गुंडी (सम्हालू)
गुणकर्म वातकफघ्न, दीपन, वेदनास्थापन, मूत्रजनन, आर्तवजनन, कृमिघ्न, शोथघ्न, बल्य, रसायन, विषघ्न, मस्तिष्क को बल्य
उपयोग शूल, शोथ, आमवात, कृमि, कुष्ठ, अरुचि, कफज ज्वर, अपचन, आध्मान, सभी वातव्याधी, कास, प्रदर, क्षय, कुष्ठ, शोथ, व्रण, कृमि, प्लीहावृद्धी
मात्रा 1/1 गोली 3 बार
ग्रंथाधार भावप्रकाश

41. निशोत्तर घन वटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 9:1)

प्रमुख घटक द्रव्य निशोत्तर (त्रिवृत्)
गुणकर्म रेचक, वातघ्न, भेदनीय, सुखविरेचनों में श्रेष्ठ।
उपयोग विरेचन में श्रेष्ठ होने के कारण अर्श, उदर, मलावष्टंभ, गुल्म में उपयुक्त है। ज्वर, पित्तजव्याधी, शोथ, रक्तपित्त, विसर्प, कामला, राजयक्ष्मा, वातशोफ आदि में उपयुक्त I
मात्रा २/२ गोलियॉं रात में सोने से पहले अथवा कोष्ठ के अनुसार, कोष्ण जल के साथ।
ग्रंथाधार भावप्रकाश

42. पारिजातक घन वटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 5:1)

प्रमुख घटक पारिजातक के पत्ते
गुणकर्म ज्वरघ्न, कफघ्न, यकृतोतोजक, मृदुविरेचक
उपयोग सभी प्रकार के ज्वर, जीर्ण ज्वर, कृमी, मलेरिया, यकृत तथा प्लीहा विकार, गृध्रसी
मात्रा 2/2 गोली 3 बार घृत या शहद के साथ
ग्रंथाधार भावप्रकाश

43. पाषाणभेद घनवटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 5.5:1)

प्रमुख घटक द्रव्य पाषाणभेद
गुणकर्म मूत्रजनन, अश्मरीघ्न, ग्राही, श्लेष्मघ्न
उपयोग मूत्रकृच्छ्र, मूत्राघात, अश्मरी, बस्तीरोग, आमातिसार, कास
मात्रा 2/2 गोली 2 बार
ग्रंथाधार भावप्रकाश

44. पुनर्नवा घनवटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 7:1)

प्रमुख घटक द्रव्य पुनर्नवा
गुणधर्म मूत्रविरेचक, कफघ्न, शोथघ्न, वय:स्थापक, दीपक
उपयोग शोथ, उदर, कामला, पांडु, यकृतविकार, हृदयरोग, मूत्राल्पता, श्वास, विषविकार, नेत्रविकार
मात्रा 2/2 गोली 2 बार
ग्रंथाधार भावप्रकाश

45. रास्ना घन वटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 5:1)

प्रमुख घटक द्रव्य रास्ना
गुणकर्म कफवातघ्न, आमपाचक, शोथहर, गर्भाशयसंकोचक
उपयोग वातघ्न, वातजशूल, श्वास, शोथ, उदर, कास, ज्वर, विविध वातव्याधी, आध्मान, अनार्तव, कष्टार्तव, आदि
मात्रा 2/2 गोली 2 बार
ग्रंथाधार भावप्रकाश

46. सफेद मुसळी घन वटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 3:1)

प्रमुख घटक द्रव्य सफेदमुसली
गुणकर्म स्नेहन, बल्य, रसायन, बृहंण, वृष्य, वातघ्न
उपयोग नपुंसकता, दौर्बल्य, अर्श, अतिसार, प्रवाहिका, प्रदर
मात्रा 2/2 गोली 3 बार दूध के साथ
ग्रंथाधार भावप्रकाश

47. सर्पगंधा घनवटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 7:1)

प्रमुख घटक द्रव्य सर्पगंधा
गुणकर्म तिक्त, पौष्टिक, निद्राकर, गर्भाशय उत्तेजक, विषघ्न
उपयोग रक्तप्रकोप, कृमि, अतिसार, ज्वर, अनिद्रा, मानसिक  ताणतणाव, मानसिक विकार, उन्माद, उच्च रक्तचाप
मात्रा 1/1 गोली दिन मे 3 बार
अनुपान दूध
ग्रंथाधार भावप्रकाश

48. शंखपुष्पी घन वटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 7.5:1)

प्रमुख घटक द्रव्य शंखपुष्पी
गुणकर्म मेध्म, वृष्य, स्मृतीवर्धक, बल्य, सारक, दीपक
उपयोग मानसरोग, अपस्मार, बुद्धीमांद्य, कुष्ठ, कृमि, विष, अनिद्रा, उन्माद, भ्रम
मात्रा 1/1 गोली 2 बार
ग्रंथाधार भावप्रकाश

49. शरपुंखा घन वटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 7.5:1)

प्रमुख घटक द्रव्य शरपुंखा (सरफोंका)
गुणकर्म अनुलोमक, पित्तसारक, कफघ्न, विषहर, बल्य, रक्तशोधन
उपयोग आध्मान, अजीर्ण, यकृतविकार, प्लीहाविकार, गुल्म में अत्यंत लाभदायी, अतिसार, कास, रक्तविकार, व्रण, ज्वर
मात्रा 2/2 गोली 2 बार तक्र के साथ
ग्रंथाधार भावप्रकाश

50. शतावरी घनवटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण -3:1)

प्रमुख घटक द्रव्य शतावरी
गुणकर्म स्तन्यजनन, शुक्रजनन, मूत्रजनन, बल्य, वृष्य, वय:स्थापन, चक्षुष्य, अग्निवर्धक, त्रिदोषघ्न
उपयोग नंपुसकता, शुक्रमेह, नेत्ररोग, अतिसार, ग्रहणी, मूत्रकृच्छ्र, रक्तपित्त, अपस्मार, वातव्याधि, शिरोरोग
मात्रा 2/2 गोली 3 बार
अनुपान दूध
ग्रंथाधार भावप्रकाश

51. सुंठ घन वटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 4:1)

प्रमुख घटक द्रव्य शुंठी (सोंठ)
गुणकर्म दीपक, पाचक, रूचिकारक, वृष्य, स्वर्य, त्रिदोषशामक, ग्राही
उपयोग आमवात, श्वास, कास, शूल, हृद्रोग, श्लीपद, शोथ, अर्श, आनाह, उदरगत वायु, संधिवात, प्रतिश्याय, स्वरभेद, अतिसार, अजीर्ण, आदि
मात्रा 2/2 गोली 3 बार
ग्रंथाधार भावप्रकाश

52. टाकळाबीज घन वटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 7.5:1)-

प्रमुख घटक द्रव्य चक्रमर्द (टाकळा, चकवड) बीज
गुणकर्म पित्तवातघ्न, दीपन, पाचन, त्वक्दोषहर
उपयोग कुष्ठ, सभी प्रकार के त्वचारोग, खुजली, कृमि, आदि
मात्रा 1/1 गोली 3 बार
ग्रंथाधार भावप्रकाश

53. तुलसी घनवटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 7:1)

प्रमुख घटक द्रव्य तुलसी
गुणकर्म हृद्य, कफघ्न,वातघ्न, दीपन, स्वेदजनन, मूत्रजनन
उपयोग कुष्ठ, मूत्रकृच्छ्र, रक्तविकार, पार्श्वपीडा, श्वास, कास, विषमज्वर, विषविकार, ज्वर, कृमि, कर्णशूल
मात्रा 1/1 गोली 3 बार
ग्रंथाधार भावप्रकाश

54. वरुण घनवटी (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 9:1)

प्रमुख घटक द्रव्य वरूण (वायवर्णा)
गुणकर्म उष्ण, दीपक, पित्तजनक, मलभेदक, अश्मरीहर
उपयोग मूत्रकृच्छ्र, अश्मरी, गुल्म, वातरक्त, कृमी
मात्रा 1/1 गोली 3 बार
ग्रंथाधार भावप्रकाश

55. वेखंड घन वटी (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 4:1)

प्रमुख घटक द्रव्य वचा (वेखंड)
गुणकर्म कफघ्न, वातानुलोमक, मेध्य, दीपक, पाचक, कृमिघ्न, शूलघ्न, वृष्य, वामक
उपयोग उन्माद, कृमि, अपस्मार, श्वास, कास, कंठरोग, विषमज्वर, जीर्णातिसार, संग्रहणी
मात्रा 1/1 गोली 2 बार
ग्रंथाधार भावप्रकाश

56. विडंग घन वटी (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 6:1)

प्रमुख घटक द्रव्य विडंग (वायविडंग)
गुणकर्म कृमिघ्न, जंतुनाशक, दीपक, कफवातघ्न, वातानुलोमक, बल्य, रक्तशोधक, रसायन
उपयोग शूल, आध्मान, कृमि, उदर, वातरोग, अग्निमांद्य, अजीर्ण, त्वचारोग, आदि
मात्रा 1/1 गोली 3 बार
ग्रंथाधार भावप्रकाश

57. विदारीकंद घन वटी (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 3:1)

प्रमुख घटक द्रव्य विदारीकंद (भुईकोहोळा)
गुणकर्म स्निग्ध, बृंहण, दुग्धवर्धक, शुक्रवर्धक, स्वर्य, मूत्रल, बल्य, रसायन, वातपित्तघ्न, स्तन्यजनन, पौष्टिक
उपयोग प्रसूती के बाद दूध बढाने के लिए, दाह, शोथ, यकृत प्लीहा विकार
मात्रा 2/2 गोली 2 बार
ग्रंथाधार भावप्रकाश

58. विजयसार घन वटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 9:1)

प्रमुख घटक द्रव्य विजयसार (असाणा)
गुणकर्म त्वचा के लिए हितकर, रसायन, पित्तघ्न, प्रमेहनाशक, केश के लिए हितकर
उपयोग प्रमेह, स्थौल्य, कुष्ठ, त्वचारोग, रक्तपित्त, विसर्प, रक्तविकार आदि
मात्रा 1/1 गोली दिन में 2 बार
ग्रंथाधार भावप्रकाश

59. यष्टिमधु घनवटी (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण -6.5:1)

प्रमुख घटक द्रव्य यष्टिमधु
गुणकर्म शीत, गुरु, मधुर, नेत्र्य, बल्य, वर्ण्य, स्वर्य, पित्तवातघ्न, वृष्य
उपयोग केशवर्धक, व्रण, शोथ, विष, तृष्णा, ग्लानि, क्षय, कास, श्वास, स्वरभेद, अम्लपित्त, हृदयरोग
मात्रा 2/2 गोली 2 बार
ग्रंथाधार भावप्रकाश

60. दशमूल घनवटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 11:1)

प्रमुख घटक द्रव्य बिल्व, गंभारी, पाटला, अग्निमंथ, श्योनाक, शालिपर्णी, पृश्निपर्णी, बृहती, कंटकारी, गोक्षुर
गुणधर्म त्रिदोषनाशक, बल्य
उपयोग श्वास, कास, सिर की पीड़ा, तंद्रा, शोथ, ज्वर, आनाह, अरुची, पार्श्वपीडा, गर्भाशयशुद्धी के लिए।
मात्रा 1/1 गोली 3 बार
ग्रंथाधार भावप्रकाश

61. महारास्नादि क्वाथ घनवटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.)( संपृक्तता प्रमाण – 7:1)

प्रमुख घटक द्रव्य महारास्नादि क्वाथ में उपयुक्त 28 वनस्पती
गुणकर्म वातघ्न
उपयोग विविध वातविकार, संधिवात, मज्जागत वात, कंपवात, पक्षाघात, अर्दित, योनिरोग, शुक्रदोष, वंध्यत्व
मात्रा 2/2 गोली 3 बार
ग्रंथाधार भारत भैषज्य रत्नाकर

62. महासुदर्शन घनवटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 8:1)

प्रमुख घटक द्रव्य महासुदर्शन क्वाथ में उपयुक्त 48 वनस्पती
गुणकर्म ज्वरघ्न, कफघ्न, दीपक, पाचक
उपयोग सभी प्रकार के ज्वर, तृष्णा, श्वास, कास, कामला, पांडु, पार्श्वशूल
मात्रा 1/1 गोली 3 बार
ग्रंथाधार आयुर्वेद सार संग्रह

63. महामंजिष्ठादि क्वाथ घनवटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 7:1)

प्रमुख घटक द्रव्य महामंजिष्ठादि क्वाथ में उपयुक्त 48 वनस्पती
गुणकर्म रक्तशुद्धिकर, रक्तप्रसादक, रक्तदोषनाशक, कफघ्न, पित्तघ्न, कांतिवर्धक
उपयोग सभी प्रकारके त्वचारोग, रक्तदोष, मेदोदोष, कुष्ठ
मात्रा 2/2 गोली 2 बार
ग्रंथाधार भारत भैषज्य रत्नाकर

64. त्रिफळा घनवटी – (1 गोली = 250 मि.ग्रॅ.) (संपृक्तता प्रमाण – 2:1)

प्रमुख घटक द्रव्य हरितकी, बिभितक, आमलकी
गुणकर्म कफपित्तघ्न, अनुलोमक, नेत्र्य, दीपक, पाचक, रसायन, रूचिकारक
उपयोग प्रमेह, कुष्ठ, नेत्र के विकार, विषमज्वर, मलावष्टंभ, अग्निमांद्य
मात्रा 2/2 गोली 3 बार
ग्रंथाधार भावप्रकाश