Asav and Arishta (आसव एवम् आरिष्ट)

Asava Arishte

1. अभयारिष्ट

प्रमुख घटक द्रव्य सुरवारी हरडा, मनुका, वायविडंग, धनिया, सौंठ ।
गुणकर्म पाचक सारक ।
उपयोग कफ व्याधी, बवासीर, यकृत अथवा प्लीहा वृद्धी, भूख की कमी इ. में उपयोगी ।
मात्रा 2 से 4 चम्मच रातमें सोते समय या सुबह पानी के साथ।
ग्रंथाधार भारत भैषज्य रत्नाकर – भाग एक।
पैकिंग आकार
5 ली. 1000 मिली. 450 मिली. 200 मिली.

2. अश्‍वगंधारिष्ट

प्रमुख घटक द्रव्य अश्‍वगंधा, सफेदमुसली, मंजिष्ठा, मुलेठी, रास्ना, वच, गव्हला, श्‍वेतचंदन, अर्जुन छाल आदी ।
गुणकर्म वातदोषहर, पौष्टिक, बल्य, शुक्रवर्धक, भूक की कमी, मानसिक तथा शारिरीक दौर्बल्य ।
उपयोग शक्‍तिक्षीणता, मनोविकार, मिरगी, जोडों का दर्द इ. में बहुत गुणकारी ।
मात्रा 2 से 4 चम्मच दिन में तीन बार पानी के साथ ।
ग्रंथाधार भारत भैषज्य रत्नाकर – भाग एक।
पैकिंग आकार
5 ली. 1000 मिली. 450 मिली. 200 मिली.

3. अमृतारिष्ट

प्रमुख घटक द्रव्य  गिलोय, दशमूल, जीरा, सौंठ, काली मिर्च, पिप्पली, कुटकी।
गुणकर्म ज्वरघ्न, पाचक, त्रिदोषशामक ।
उपयोग सभी प्रकार के ज्वर, पुराना बुखार, प्रसुती के बाद का बुखार, अपचन, यकृत विकार इ. में गुणकारी ।
मात्रा 2 से 4 चम्मच दिन में दो बार भोजन के बाद, पानी के साथ ।
ग्रंथाधार भारत भैषज्य रत्नाकर – भाग एक।
पैकिंग आकार
5 ली. 1000 मिली. 450 मिली. 200 मिली.

4. अर्जुनारिष्ट

प्रमुख घटक द्रव्य अर्जुनछाल, काली मनुक्‍का ।
गुणधर्म कफपित्‍तदोषहर, हृदय को बल्य ।
उपयोग मुख्यतः हृदयविकार ।
मात्रा 2 से 4 चम्मच भोजन के बाद ।
ग्रंथाधार भारत भैषज्य रत्नाकर – भाग तीन।
पैकिंग आकार
5 ली. 1000 मिली. 450 मिली. 200 मिली.

5. अशोकारिष्ट

प्रमुख घटक द्रव्य अशोक छाल, त्रिफला, चंदन, कमल, हल्दी, जीरा, सोंठ, मुस्ता ।
गुणकर्म वातदोषहर, गर्भाशय को बल्य ।
उपयोग स्त्रियों के गर्भाशय संबंधी सभी विकारों के लिये, जी मचलाना आदी में उपयुक्‍त ।
मात्रा 2 से 4 चम्मच दिन में दो बार पानी के साथ ।
ग्रंथाधार भारत भैषज्य रत्नाकर – भाग एक।
पैकिंग आकार
5 ली. 1000 मिली. 450 मिली. 200 मिली.

6. आरोग्यमिश्रण

प्रमुख घटक द्रव्य ग्वारपाठा, सुरवारी हरड, मनुक्‍का, लोहभस्म, ताम्रभस्म, लौंग, जायपत्री, त्रिकटु, वावडींग, इलायची आदी ।
गुणकर्म सभी उम्रके स्त्री – पुरुष तथा बच्चोंके लिए आरोग्यदायी सुरक्षा कवच ।
उपयोग निद्रा विकार, दौर्बल्य, खाँसी, कफ, यकृतवृद्धी इ. में उपयोगी । विभिन्‍न शारिरीक संस्थाएं स्वाभाविक रुपसे कार्य करनेमें सहाय्यक है । ताम्र तथा लोह की वजहसें अ‍ॅनिमिया तथा पंडुरोगमें लाभदायक है ।
मात्रा 2 से 4 चम्मच दिन मे तीन बार पानी के साथ ।
पैकिंग आकार
5 ली. 1000 मिली. 450 मिली. 200 मिली.

7. चंदनासव

प्रमुख घटक द्रव्य चंदन, सुगंधवाला, मंजिष्ठा, नागरमोथा, पित्तपापडा, पद्मकाष्ठ, कचोरा, कमलपुष्प, मुलेठी आदी ।
गुणकर्म पित्‍तकफ दोषहर, दाहशामक ।
उपयोग हात पाँव की जलन, आँखो की जलन, पेशाब की जलन, शुक्रमेह, पूयमेेह, लू लगना, स्वप्नावस्था इ. में गुणकारी ।
मात्रा 2 से 4 चम्मच दिनमें दो या तीन बार पानी के साथ ।
ग्रंथाधार भारत भैषज्य रत्नाकर – भाग दोन।
पैकिंग आकार
5 ली. 1000 मिली. 450 मिली. 200 मिली.

8. द्राक्षासव

प्रमुख घटक द्रव्य मनुक्‍का, जायफल, चंदन, लौंग, तमालपत्र, दालचिनी, कंकोळ आदी ।
गुणकर्म पाचक, क्षुधावर्धक, बलवर्धक, वातानुलोमक ।
उपयोग निद्राविकार, भूख न लगना, अपचन, दौर्बल्य आदी मे उपयुक्‍त।
मात्रा 2-4 चम्मच दिन में दो या तीन बार पानी के साथ ।
ग्रंथाधार भारत भैषज्य रत्नाकर – भाग तीन।
पैकिंग आकार
5 ली. 1000 मिली. 450 मिली. 200 मिली.

9. दशमुलारीष्ट

प्रमुख घटक द्रव्य दशमूल, अष्टवर्ग, चित्रक, गिलोय, त्रिफला, काली मनुक्‍का, खस, पद्मकाष्ठ, सारिवा, गहुला, देवदार, वावडिंग, सुगंधवाला, चंदन आदी ।
गुणकर्म वातदोषहर, क्षुधावर्धक, रसायन ।
उपयोग सभी प्रकारके वात विकार, जोडों का दर्द, जोडों की सूजन ।
मात्रा 2 से 4 चम्मच दिन में दो या तीन बार पानी के साथ ।
ग्रंथाधार भैषज्य रत्नावली।
पैकिंग आकार
5 ली. 1000 मिली. 450 मिली. 200 मिली.

10. खदीरारीष्ट

प्रमुख घटक द्रव्य खैर की छाल, त्रिफला, बाकुची, देवदार, दालचिनी, लौंग, इलायची, पिप्पली, नागकेशर आदी ।
गुणकर्म कफवात दोषहर, रक्‍तशुद्धीकर ।
उपयोग सभी प्रकारके त्वचा विकार, एक्झिमा, सोरीयासिस, कुष्ठ, पित्‍त उभरना आदी ।
मात्रा 2 से 4 चम्मच दिनमें दो या तीन बार पानी के साथ ।
ग्रंथाधार भारत भैषज्य रत्नाकर – भाग एक।
पैकिंग आकार
5 ली. 1000 मिली. 450 मिली. 200 मिली.

11. कुटजारीष्ट

प्रमुख घटक द्रव्य कुटजछाल, काली मनुक्‍का, शिवण आदी ।
गुणकर्म त्रिदोषशामक, क्षुधावर्धक, ग्राही ।
उपयोग दस्त, पेचिश, ग्रहणी, भुख की कमी आदी विकारों में गुणकारी।
सूचना  2 से 4 चम्मच दिनमें दो या तीन बार ।
ग्रंथाधार भारत भैषज्य रत्नाकर – भाग एक।
पैकिंग आकार
5 ली. 1000 मिली. 450 मिली. 200 मिली.

12. कनकासव

प्रमुख घटक द्रव्य काला धतुरा, वासा, मुलेठी, पिप्पली, बडीकटेरी, सौंठ, भारंग मूल, पिप्पली, तालीसपत्र, नागकेशर आदी।
गुणकर्म वातदोषहर, श्‍वासनलिका संकोच नाशक ।
उपयोग दमा, खाँसी, जीर्णज्वर, रक्‍तपित्‍त आदी में गुणकारी ।
मात्रा 2 से 4 चम्मच दिन में दो बार पानी के साथ ।
ग्रंथाधार भारत भैषज्य रत्नाकर – भाग एक।
पैकिंग आकार
5 ली. 1000 मिली. 450 मिली. 200 मिली.

13. कुमारी आसव नं.1

प्रमुख घटक द्रव्य ग्वार पाठा, सुरवारी हरड, लौंग, लोहभस्म, ताम्रभस्म आदी।
गुणकर्म कफवात दोषहर, पाचक, क्षुधावर्धक, सौम्य रेचक ।
उपयोग पीलीया, यकृत – प्लीहा वृद्धी, खून की कमी, बवासीर आदी ।
मात्रा  1 से 2 चम्मच पानी के साथ दो बार ।
सूचना  गर्भवती स्त्रियों एवं बालको के लिए वर्ज्य ।
ग्रंथाधार भारत भैषज्य रत्नाकर – भाग एक।
पैकिंग आकार
5 ली. 1000 मिली. 450 मिली. 200 मिली.

14. कुमारी आसव नं.3

प्रमुख घटक द्रव्य ग्वार पाठा, बालहरितकी, लौंग, कंकोळ, जायपत्री आदी ।
गुणकर्म कफवात दोषहर, पाचक, क्षुधावर्धक, सौम्यरेचक ।
उपयोग बालकों के लिए विशेष उपयुक्‍त, भूख की कमी, दूध का पाचन ना होना, पेट फूलना, यकृत एवं प्लीहा वृद्धी ।
मात्रा  1 से 2 चम्मच दिन में दो/तीन बार पानी के साथ ।
पैकिंग आकार
5 ली. 1000 मिली. 450 मिली. 200 मिली.

15. लोहासव

प्रमुख घटक द्रव्य लोहभस्म, त्रिफला, त्रिकटु, चित्रक, नागरमोथा, वावडींग, अजवाइन आदी ।
गुणकर्म कफपित्‍तदोषहर, रक्‍तवर्धक ।
उपयोग लोहक्षय, खून की कमी, पीलिया, अतिसार, ग्रहणी इ. में बहुत गुणकारी ।
मात्रा  2 से 4 चम्मच दिन में दो बार पानी के साथ ।
ग्रंथाधार भारत भैषज्य रत्नाकर – भाग चार।
पैकिंग आकार
5 ली. 1000 मिली. 450 मिली. 200 मिली.

16. लोध्रासव

प्रमुख घटक द्रव्य लोध्र, कचोरा, वावडिंग, त्रिफळा, चवक, गव्हला, इलायची, अतिविष, नागकेशर, चित्रक आदी ।
गुणकर्म कफपित्‍तहर ।
उपयोग प्रमेह, पाण्डु, ग्रहणी दोष, कुष्ठ आदी में उपयुक्‍त ।
मात्रा  2 से 4 चम्मच दिन में 2 बार पानी के साथ ।
ग्रंथाधार आयुर्वेद सार संग्रह।
पैकिंग आकार
5 ली. 1000 मिली. 450 मिली. 200 मिली.

17. पथ्यादीक्‍वाथ

प्रमुख घटक द्रव्य त्रिफळा, हल्दी, किराततिक्‍त, निमसाल, गिलोय आदी।
गुणकर्म पित्‍तादोषहर, सौम्य रेचक ।
उपयोग शिरःशुल, सूर्यावर्त अर्धशिशी, अनंतवात आदी में गुणकारी।
मात्रा  2 से 4 चम्मच पानी के साथ, दिनमें दो बार ।
ग्रंथाधार आयुर्वेद सार संग्रह।
पैकिंग आकार
5 ली. 1000 मिली. 450 मिली. 200 मिली.

18. पुनर्नवासव

प्रमुख घटक द्रव्य पुनर्नवा, त्रिकटु, त्रिफला, काली मनुक्‍का, वासा, दारूहल्दी, गिलोय, कुटकी, गोक्षुर आदी ।
गुणकर्म कफपित्‍तदोषहर, मूत्रल, सारक, शोथहर ।
उपयोग सूजन, यकृत विकार, मूत्रविकार जलोदर आदी ।
मात्रा  2 से 4 चम्मच दिन में 2 बार पानी के साथ ।
ग्रंथाधार भैषज्य रत्नावली ।
पैकिंग आकार
5 ली. 1000 मिली. 450 मिली. 200 मिली.

19. रोहितकारीष्ट

प्रमुख घटक द्रव्य रक्‍तरोहिडा, त्रिफला, त्रिकटू, दालचिनी, इलायची आदी।
गुणकर्म कफपित्‍त दोषहर ।
उपयोग यकृतवृद्धी, प्लीहा – वृद्धी, हाथ पैरों की सूजन, जलोदर इ. में विशेष गुणकारी ।
मात्रा  2 से 4 चम्मच दिन में 2 बार पानी के साथ ।
ग्रंथाधार भारत भैषज्य रत्नाकर – भाग चार।
पैकिंग आकार
5 ली. 1000 मिली. 450 मिली. 200 मिली.

20. सारस्वतारीष्ट

प्रमुख घटक द्रव्य ब्राम्ही, शतावरी, हरितकी, अश्‍वगंधा, वच, लौंग, कूष्मांड, सौंफ, आर्द्रक, खस, इलायची आदी ।
गुणकर्म कफपित्‍तदोषहर, मनोदोषहर, स्मरणशक्‍ती वर्धक ।
उपयोग मनोदौर्बल्य, मानसिक थकान, स्मृतीभ्रंश, अपस्मार आदी में लाभदायक तथा विद्याथियों में अभ्यासके प्रति रुची बढानेमें सहायक ।
मात्रा  2 से 4 चम्मच दिन में 2 बार पानी के साथ ।
ग्रंथाधार भारत भैषज्य रत्नाकर – भाग पाच।
पैकिंग आकार
5 ली. 1000 मिली. 450 मिली. 200 मिली.

21. सारिवासव

प्रमुख घटक द्रव्य अनंतमूल, सुगंधवाला, चंदन, आमलकी, मुस्ता, लोध्र, गिलोय, पद्मकाष्ठ, काली मनुक्‍का आदी।
गुणकर्म पित्‍तरक्‍तदोषहर, रक्‍तशोधक ।
उपयोग सभी प्रकारके त्वचाविकार, एक्झिमा आदी । हाथ पैरों में जलन, आँखो मे जलन, मूत्रविकार, मूत्रदाह आदीमें विशेष लाभदायी ।
मात्रा  2 से 4 चम्मच दिन में दो या तीन बार पानी के साथ ।
ग्रंथाधार भारत भैषज्य रत्नाकर – भाग पाच।
पैकिंग आकार
5 ली. 1000 मिली. 450 मिली. 200 मिली.

22. उशिरासव

प्रमुख घटक द्रव्य सुगंधवाला, कमलपुष्प, काली मनुक्‍का, मंजिष्ठा, गहुला, लोध्र, औदुंबर छाल, मोंचरस ।
गुणकर्म पित्‍तदोषहर, शीतल, रक्‍तस्तंभक, दाहशामक ।
उपयोग नाक से खून आना, खुनी बवासीर, हातपाँव में जलन, आँखो की जलन, लू लगना इ. में लाभकारी ।
मात्रा  2 से 4 चम्मच दिन में दो बार पानी के साथ ।
ग्रंथाधार भारत भैषज्य रत्नाकर – भाग एक ।
पैकिंग आकार
5 ली. 1000 मिली. 450 मिली. 200 मिली.

23. विडंगारीष्ट

प्रमुख घटक द्रव्य वायविडंग, रास्नामूल, आमलकी, त्रिकटु, पिप्पलमूल, रास्ना, कुटजछाल, दालचिनी, वेलची ।
गुणकर्म कफवातदोषहर, पाचक, क्षुधावर्धक, कृमीनाशक ।
उपयोग पेट में कृमी होना, अपचन, गॅस, खट्टे डकार, भूख न लगना, गंडमाला, विद्रधी, भगंदर इ. में विशेष उपयोगी।
मात्रा  1 से 3 चम्मच दिन में 2 बार पानी के साथ ।
ग्रंथाधार भारत भैषज्य रत्नाकर – भाग चार।
पैकिंग आकार
5 ली. 1000 मिली. 450 मिली. 200 मिली.